शवयात्रा देख दौड़ी मां, चीखती रहीं – “बेटे को कहां ले जा रहे हो”
last farewell: अयोध्या | देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले सिक्किम में शहीद लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी का शनिवार को उनके पैतृक गांव अयोध्या में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। जब उनके पार्थिव शरीर को अंतिम यात्रा के लिए ले जाया गया, तो पूरा गांव गम में डूब गया। हर आंख नम थी, हर दिल गर्व और ग़म के मिलेजुले भाव से भरा था। सुबह करीब 10 बजे अयोध्या के मिलिट्री हॉस्पिटल से उनका पार्थिव शरीर जब तिरंगे में लिपटा हुआ गांव पहुंचा, तो चीख-पुकार मच गई। बहन उन्हें देख फूट-फूट कर रोने लगी – “हमार भइया काहे चला गया…” कांपते हाथों से उन्होंने भाई को अंतिम प्रणाम किया।
“बेटे को कहां ले जा रहे हो?”: मां की चीत्कार से गूंज उठा गांव
सुबह 11:30 बजे जैसे ही शशांक की शवयात्रा जमथरा घाट की ओर निकली, मां अपने आंसुओं को रोक न सकीं। वह दौड़ती हुई बाहर आईं और रोते-चीखते हुए बेटे के पीछे चल पड़ीं – “बेटे को कहां ले जा रहे हो?”। यह दृश्य इतना मार्मिक था कि वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें भर आईं। सेना के जवानों और महिलाओं ने उन्हें मुश्किल से संभाला।
शशांक की मां दिल की मरीज हैं, इसलिए पहले उन्हें बेटे की शहादत की खबर नहीं दी गई थी। शुक्रवार शाम जब शशांक का पार्थिव शरीर स्पेशल फ्लाइट से अयोध्या पहुंचा, तो उन्हें सीधा मिलिट्री हॉस्पिटल में रखा गया, जहां सेना के जवानों ने उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित किए।
पिता ने दी मुखाग्नि, तिरंगा सौंपते ही फूट पड़े आंसू
गांव के जमथरा घाट पर शशांक का अंतिम संस्कार किया गया। पिता जंग बहादुर तिवारी ने कांपते हाथों से बेटे को मुखाग्नि दी। सेना की ओर से जब उन्हें तिरंगा सौंपा गया, तो वे फफक कर रो पड़े। मां-बाप के सपनों को सीने में संजोए एक होनहार बेटे की चिता के साथ वो सारे सपने भी राख हो गए।
हजारों लोगों ने दी श्रद्धांजलि
इस शोकाकुल अवसर पर कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही, प्रशासनिक अधिकारी और आस-पास के गांवों से हजारों लोग मौजूद रहे। लेफ्टिनेंट को श्रद्धांजलि देते हुए हर किसी ने कहा – “यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा”। देश और गांव को उन पर गर्व है।
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