Alert:नई दिल्ली | विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को संसद की एक अहम बैठक में स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देता है या सीज़फायर का उल्लंघन करता है, तो भारत उसके खिलाफ फिर से सैन्य कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा। यह बयान ऐसे समय आया है जब ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच अस्थायी शांति बनी हुई है।
🔴 सीज़फायर में किसी तीसरे देश की भूमिका नहीं
विदेश मामलों की संसदीय समिति की अध्यक्षता करते हुए जयशंकर ने दोहराया कि:
“सीज़फायर किसी तीसरे देश की मध्यस्थता से नहीं हुआ है। यह भारत और पाकिस्तान के बीच सीधा संवाद था।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत ने यह कदम सिर्फ अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी नीति के तहत उठाया है, न कि किसी अंतरराष्ट्रीय दबाव में।
💥 9 आतंकी ठिकानों पर हमला: पाकिस्तान को 30 मिनट बाद दी सूचना
विदेश मंत्री ने बताया कि:
- 7 मई को भारतीय सेना ने पाकिस्तान के भीतर 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया।
- सिर्फ आधे घंटे बाद पाकिस्तान को सूचित किया गया कि यह हमला केवल आतंकियों के विरुद्ध है और इसमें पाकिस्तानी सेना को दखल नहीं देना चाहिए।
“हमने अपनी सीमाओं के भीतर और बाहर के आतंकी नेटवर्क को चेतावनी दी है। जो देश उन्हें शरण देते हैं, उन्हें भी यह संदेश मिल चुका है,” – एस. जयशंकर
⚠️ ‘गलत तरीके से पेश किया गया मेरा बयान’
जयशंकर ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की कि मीडिया और विपक्ष द्वारा उनके बयान को गलत ढंग से प्रस्तुत किया गया, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने ऑपरेशन से पहले पाकिस्तान को सूचित किया था।
🧾 संसदीय समिति में विपक्ष की भागीदारी
बैठक में कई प्रमुख विपक्षी नेता भी शामिल हुए, जिनमें शामिल हैं:
- केसी वेणुगोपाल (कांग्रेस)
- मुकुल वासनिक (कांग्रेस)
- जया बच्चन (सपा)
- दयानिधि मारन (DMK)
- कीर्ति वर्धन सिंह (विदेश राज्य मंत्री, भाजपा)
विपक्ष के कुछ नेताओं ने आतंकी हमलों के प्रति सरकार की नीति की सराहना की, तो कुछ ने सीज़फायर की पारदर्शिता पर सवाल भी उठाए।
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