डब्ल्यूआईआई की रिपोर्ट में खुलासा
Exposure: मंडला/बालाघाट: मध्यप्रदेश के कान्हा नेशनल पार्क ने एक बार फिर देशभर के टाइगर रिजर्व्स में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), देहरादून की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, कान्हा में देश के अन्य सभी टाइगर रिजर्व की तुलना में सबसे अधिक शाकाहारी वन्यप्राणी पाए गए हैं। इस उपलब्धि से पार्क की मजबूत पारिस्थितिकी और संतुलित खाद्य श्रृंखला का भी प्रमाण मिलता है।
📊 फेज-4 ग्रीष्मकालीन गणना में हुआ खुलासा
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के निर्देशों के अंतर्गत 26 से 31 मई 2025 तक फेज-4 की वार्षिक ग्रीष्मकालीन गणना आयोजित की गई।
इस दौरान पार्क की 180 बीट्स में वन्यजीव गणना की गई जिसमें 245 ट्रांजेक्ट लाइनें और 1290 ग्रिड बनाए गए।
कान्हा के डिप्टी डायरेक्टर पुनीत गोयल ने बताया कि इस गणना में एम-स्ट्राइप्स इकोलॉजिकल एप और कैमरा ट्रैप्स का उपयोग किया गया। पहले तीन दिन मांसाहारी प्राणियों की गणना की गई जबकि अगले तीन दिनों में चीतल, सांभर, बारासिंहा, नीलगाय और अन्य शाकाहारी वन्यजीवों की गिनती की गई।
🌿 शाकाहारीों की प्रचुरता: पारिस्थितिक संतुलन का संकेत
विशेषज्ञों के अनुसार, शाकाहारी वन्यप्राणियों की अधिक संख्या न केवल पारिस्थितिकीय रूप से संतुलन का संकेत है बल्कि यह बाघों जैसी मांसाहारी प्रजातियों के लिए एक मजबूत आधार भी बनाती है। यही कारण है कि कान्हा में बाघों की संख्या भी लगातार बेहतर बनी हुई है।
🐅 2000 वर्ग किलोमीटर में फैला जैव विविधता का भंडार
करीब 2000 वर्ग किलोमीटर में फैले इस टाइगर रिजर्व में:
- बारासिंघा (हॉर्ड डियर)
- गौर (भारतीय बायसन)
- चीतल, सांभर, नीलगाय
- लंगूर, जंगली सुअर, बार्किंग डियर
जैसे शाकाहारी जीव प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
इनके कारण यहां का पारिस्थितिकीय तंत्र इतना सशक्त है कि यह बाघों की स्थायी और सुरक्षित आबादी को पोषण देने में सक्षम है।
🔍 जल्द आएंगे गणना के अंतिम नतीजे
वर्तमान में आंकड़ों का विश्लेषण भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा किया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि इस वर्ष शाकाहारी और मांसाहारी दोनों श्रेणियों में वन्यजीवों की संख्या में वृद्धि दर्ज होगी।
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