Blast Case: नई दिल्ली: 2006 के मुंबई सीरियल ट्रेन ब्लास्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 21 जुलाई 2025 के फैसले पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने 12 आरोपियों को बरी कर दिया था।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
- महाराष्ट्र सरकार ने 23 जुलाई को हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल की थी।
- जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस एन.के. सिंह की बेंच ने सुनवाई की।
- सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा – “हम केवल फैसले पर रोक चाहते हैं, आरोपियों को सरेंडर करने का आदेश नहीं मांग रहे।”
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा – “हमें बताया गया है कि सभी आरोपी रिहा हो चुके हैं, इसलिए उन्हें जेल भेजने का सवाल नहीं है। हाईकोर्ट का फैसला नजीर (precedent) नहीं माना जाएगा और उस पर रोक लगाई जाती है।”
2006 की घटना
- 11 जुलाई 2006 को मुंबई की वेस्टर्न लाइन की 7 लोकल ट्रेनों के फर्स्ट क्लास कोचों में सिलसिलेवार धमाके हुए।
- 189 लोगों की मौत और 824 लोग घायल हुए।
- धमाकों में RDX, अमोनियम नाइट्रेट और प्रेशर कुकर बम का इस्तेमाल हुआ।
- खार, बांद्रा, जोगेश्वरी, माहिम, बोरीवली, माटुंगा और मीरा-भायंदर रेलवे स्टेशनों के पास विस्फोट हुए।
जांच और सजा का सफर
- 2006 में 13 आरोपी गिरफ्तार हुए।
- 2015 में स्पेशल मकोका कोर्ट का फैसला:
- 5 आरोपियों को फांसी की सजा।
- 7 को उम्रकैद।
- 1 आरोपी बरी।
- 2016 में अपील: आरोपियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
- 21 जुलाई 2025: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सबूतों की कमी बताते हुए सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया।
ताजा स्थिति
- हाईकोर्ट का फैसला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट की रोक के चलते कानूनी प्रभाव में नहीं रहेगा।
- रिहा हो चुके आरोपी वापस जेल नहीं भेजे जाएंगे।
- एक आरोपी नवीद खान अभी नागपुर जेल में है क्योंकि उस पर हत्या के प्रयास का केस लंबित है।
- sabhar…
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