Cyber: इंडियन एविएशन सेक्टर पर बढ़ते साइबर हमले गंभीर चिंता का विषय हैं। खासकर जब रोजाना औसतन 900 साइबर अटैक्स हो रहे हों, तो यह संकेत देता है कि भारत के एविएशन इकोसिस्टम को और मजबूत साइबर सुरक्षा उपायों की जरूरत है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, चीन, अमेरिका, दक्षिण कोरिया, ताइवान और यहां तक कि भारत से भी साइबर हमले हो रहे हैं। इसका मतलब है कि एविएशन नेटवर्क्स को सुरक्षित करने के लिए न केवल इंटरनेशनल लेवल पर बल्कि डोमेस्टिक स्तर पर भी निगरानी बढ़ानी होगी।
संभावित समाधान और जरूरी कदम:
- मल्टी-लेयर सिक्योरिटी – मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन और की-बेस्ड एप्रोच अपनाकर एक्सेस कंट्रोल को मजबूत करना।
- रियल-टाइम मॉनिटरिंग – हर संदिग्ध गतिविधि को तुरंत ट्रैक करने और उसका जवाब देने के लिए अत्याधुनिक थ्रेट डिटेक्शन सिस्टम लगाना।
- सुरक्षा ऑडिट और अपडेट्स – समय-समय पर सुरक्षा ऑडिट और नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करना।
- एविएशन स्टाफ की ट्रेनिंग – कर्मचारियों के लिए साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम और साइबर ड्रिल्स को नियमित रूप से लागू करना।
- डेटा एन्क्रिप्शन – सभी संवेदनशील डेटा को एन्क्रिप्ट करके सुरक्षित करना और एक्सेस को सीमित करना।
- बॉटनेट डिफेंस – बॉटनेट गतिविधियों को ट्रैक करने और ब्लॉक करने के लिए उन्नत एआई-आधारित सुरक्षा उपाय लागू करना।
क्या सरकार और एविएशन इंडस्ट्री इसे गंभीरता से ले रही है?
अगर यह खतरा इतनी तेजी से बढ़ रहा है, तो क्या भारत की साइबर सुरक्षा एजेंसियां और DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) पहले से ही कोई कदम उठा रही हैं? क्या भारतीय एविएशन कंपनियां अपने सुरक्षा ढांचे को अपग्रेड कर रही हैं?
यह एक नेशनल सिक्योरिटी का विषय बन सकता है, और इसमें सरकार व एविएशन इंडस्ट्री को मिलकर काम करने की जरूरत है।
source internet… साभार….
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