Nagaloka: पचमढ़ी — सतपुड़ा की गहराइयों में स्थित नागलोक, जिसे नागद्वार के नाम से भी जाना जाता है, आज मंगलवार को नागपंचमी के अवसर पर एक साल के लिए बंद हो जाएगा। श्रद्धालुओं को अब दर्शन के लिए अगले वर्ष का इंतजार करना होगा।
🔱 पौराणिक मान्यता: पद्मशेष महाराज का निवास
घने जंगलों और सात पहाड़ियों के पार स्थित यह प्राचीन गुफा भगवान शिव के गले के नाग पद्मशेष महाराज का निवास मानी जाती है। मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से कालसर्प दोष, संतान प्राप्ति जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
🚩 नागद्वारी यात्रा 2024: आस्था और साहस की पराकाष्ठा
- 19 जुलाई से शुरू हुई 10 दिवसीय यात्रा में अब तक 6 लाख से अधिक श्रद्धालु गुफा के दर्शन कर चुके हैं।
- कुल 13–15 किमी की यात्रा में से सबसे कठिन 7 किमी का रास्ता, जिसमें तीव्र चढ़ाइयाँ, संकरे और फिसलन भरे मार्ग, झरने और घने वन शामिल हैं।
- सावन की बारिश इस कठिनाई को और बढ़ा देती है, फिर भी श्रद्धालुओं की अटूट श्रद्धा हर चुनौती को पार कर जाती है।
🕉 गुफा का इतिहास: शिव, राजा और शहीदों की गाथा
- गुफा का उल्लेख मुगलकालीन अभिलेखों और अंग्रेज अधिकारी केप्टन जेम्स फॉरसिथ की पुस्तक Highlands of Central India में भी मिलता है।
- 1800 ई. में राजा भभूत सिंह ने अंग्रेजों से युद्ध में इन गुफाओं का इस्तेमाल रणनीति और विश्राम स्थल के रूप में किया।
- आज भी काजरी क्षेत्र में उन सैनिकों की समाधियां मौजूद हैं।
👁🗨 12 नागों के जोड़े: एक रहस्यमय मान्यता
नागपंचमी के दिन यहां 12 नागों के जोड़े देखे जाने की लोक-आस्था वर्षों से चली आ रही है। कुछ श्रद्धालु दावा करते हैं कि उन्होंने इसे स्वयं देखा है, जबकि कई इसे आध्यात्मिक अनुभूति का प्रतीक मानते हैं।
🧎♀️ एक अनकही कथा: वचन भूलने की कीमत
ट्रस्ट अध्यक्ष उमाकांत झाडे के अनुसार, करीब 200 साल पहले महाराष्ट्र के राजा हेवत चंद व रानी मैना ने नागदेवता से संतान प्राप्ति का व्रत लिया। पुत्र जन्म के बाद वचन अनुसार नागदेवता की आंखों में काजल नहीं लगाया गया। परिणामस्वरूप, देवता ने बाल स्वरूप में दर्शन देकर बाद में श्रवण कुमार को डस लिया। आज भी उसकी समाधि काजरी क्षेत्र में बनी है।
🛡️ सुरक्षा और व्यवस्था: प्रशासन की सतर्कता
- जिला प्रशासन और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (STR) द्वारा होमगार्ड, पुलिस, स्वास्थ्य और PHE विभाग की संयुक्त तैनाती।
- कलेक्टर सोनिया मीना और SP डॉ. गुरकरण सिंह ने पैदल ट्रैक का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
- स्वच्छता, कचरा प्रबंधन, और भीड़ नियंत्रण पर विशेष ध्यान दिया गया।
- स्थानीय प्रशासन द्वारा यात्रा मार्ग को सुरक्षित और व्यवस्थित रखने के लिए कई स्वयंसेवक और अधिकारी तैनात किए गए।
📜 आस्था का उत्सव, प्रकृति की गोद में
नागद्वारी यात्रा न सिर्फ एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह प्राकृतिक रोमांच, सांस्कृतिक धरोहर और जन-श्रद्धा का संगम है। यह यात्रा याद दिलाती है कि भारतीय आस्था में साहस और तपस्या का अद्भुत मेल है।
साभार…
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