Face to face: भोपाल। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने को पांच साल बीत चुके हैं, लेकिन अब भी इसकी राजनीतिक गूंज थमने का नाम नहीं ले रही। लंबे समय से माना जाता रहा कि सिंधिया ने दिग्विजय सिंह की वजह से कांग्रेस छोड़ी थी। लेकिन हाल ही में एक इंटरव्यू में दिग्विजय सिंह ने खुलासा किया कि इसके लिए वे जिम्मेदार नहीं, बल्कि तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ जिम्मेदार थे। इस बयान के बाद कांग्रेस के भीतर एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो गई है।
दिग्विजय का दावा – चेतावनी दी थी
दिग्विजय सिंह ने कहा कि उन्होंने पहले ही संकेत दे दिए थे कि सिंधिया कांग्रेस छोड़ सकते हैं। उनका कहना है कि एक बड़े उद्योगपति के घर डिनर पर कमल नाथ और सिंधिया को मिलवाया भी गया था। उस दौरान कई सहमतियां बनीं, जिन पर अमल नहीं हुआ। दिग्विजय ने आरोप लगाया कि ग्वालियर-चंबल संभाग से जुड़े मुद्दों पर हुई सहमति का पालन न होने से टकराव हुआ और अंततः सरकार गिर गई।
कमल नाथ का पलटवार
दिग्विजय सिंह के आरोपों पर कमल नाथ ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पलटवार किया। उन्होंने लिखा, “पुरानी बातें उखाड़ने से कोई फायदा नहीं, लेकिन सच्चाई यह है कि सिंधिया को लगता था कि सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं। इसी नाराजगी में उन्होंने विधायकों को तोड़ा और सरकार गिरा दी।” कमल नाथ ने साफ कहा कि 2020 में कांग्रेस सरकार गिराने के लिए दिग्विजय सिंह जिम्मेदार थे।
कांग्रेस में गुटबाजी फिर सतह पर
एमपी कांग्रेस हाल ही में संगठन को नए सिरे से मजबूत करने में जुटी है। जिला अध्यक्षों की नियुक्ति और प्रशिक्षण कार्यक्रम के बीच दो दिग्गज नेताओं की कलह ने पार्टी के अंदर फिर से दरार को उजागर कर दिया है। गुटबाजी कांग्रेस की पुरानी बीमारी रही है और इसका खामियाजा पार्टी को बार-बार भुगतना पड़ा है।
सिंधिया-दिग्विजय की नजदीकी बढ़ी
दिलचस्प यह है कि हाल ही में ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह के रिश्ते बेहतर होते दिखे। एक कार्यक्रम में सिंधिया ने मंच पर बुलाकर दिग्विजय को सम्मानित किया। इससे संकेत मिले कि दोनों नेताओं में व्यक्तिगत दूरियां कम हो रही हैं, जबकि कांग्रेस के अंदर कमल नाथ और दिग्विजय के बीच तलवारें खिंच गई हैं।
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