Jaundice: भोपाल। मध्य भारत के वनों और गांवों में आमतौर पर मिलने वाली परजीवी लता अमरबेल (कस्कूटा रिफ्लेक्सा) पीलिया के इलाज में कारगर साबित हो सकती है। पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेदिक संस्थान, भोपाल के शुरुआती अध्ययन में अमरबेल में पीलियारोधी गुण पाए गए हैं। अब इसके वैज्ञानिक प्रमाण के लिए संस्थान विस्तृत शोध करेगा।
अमरबेल क्या है?
- यह बिना पत्तियों वाली परजीवी लता है, जो अन्य पेड़ों के तनों से पोषण लेती है।
- इसी कारण इसमें उन पेड़ों से जुड़े रसगुण भी आ जाते हैं।
- आयुर्वेद ग्रंथों चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और भावप्रकाश निघंटु में इसके औषधीय गुणों का उल्लेख है।
- पारंपरिक रूप से इसका उपयोग मधुमेह, खांसी, पाचन विकार, त्वचा रोग और रक्त दोष के उपचार में किया जाता रहा है।
पीलिया उपचार की संभावना
- संस्थान के अध्ययन में पाया गया कि कुछ समुदाय पीलिया के इलाज के लिए अमरबेल के काढ़े का सेवन करते हैं।
- अब वैज्ञानिक तौर पर इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-वायरल और लीवर प्रोटेक्टिव गुणों की जांच की जाएगी।
- साथ ही यह भी परखा जाएगा कि अमरबेल रक्त शुद्धिकरण में कितनी मददगार है।
संस्थान की योजना
द्रव्यगुण विभाग की प्रमुख डॉ. अंजली जैन ने बताया कि रिसर्च की रूपरेखा तैयार कर ली गई है।
संस्थान के प्राचार्य डॉ. उमेश शुक्ला ने कहा –
“हमारा उद्देश्य पारंपरिक ज्ञान को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित करना है। शोध के नतीजे सामने आने के बाद अमरबेल आधारित दवाओं को आधुनिक चिकित्सा पद्धति में शामिल करने की संभावनाएं बढ़ेंगी।”
साभार…
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