Celebration:नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो चुके हैं और देशभर में इसका शताब्दी वर्ष समारोह मनाया जा रहा है। इस अवसर पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कई अहम मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी और कई विवादों पर चतुराई से जवाब दिए।
भाजपा और 75 वर्ष की आयु-सीमा पर सफाई
भागवत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उम्र को लेकर लगाए जा रहे कयासों पर साफ कहा कि संघ और भाजपा में 75 वर्ष की उम्र में रिटायरमेंट का कोई नियम नहीं है, न पहले था और न आगे रहेगा।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि न तो वे स्वयं रिटायर हो रहे हैं और न ही किसी को ऐसा कह रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे 80 साल की उम्र तक सक्रिय रहेंगे और शाखा लगाते रहेंगे।
काशी-मथुरा आंदोलन से दूरी
राम मंदिर आंदोलन पर बोलते हुए भागवत ने कहा कि राम मंदिर संघ का अकेला आंदोलन था और अब मंदिर बन चुका है।
- काशी और मथुरा को लेकर उन्होंने कहा कि यह आस्था का विषय है, संघ इसमें शामिल नहीं होगा।
- हाँ, स्वयंसेवक व्यक्तिगत रूप से इसमें शामिल हो सकते हैं।
- भागवत ने कार्यकर्ताओं से अपील की कि हर जगह शिवलिंग और मंदिर तलाशने की प्रवृत्ति का समर्थन संघ नहीं करता।
आनुवांशिक संगठन और संघ का रिश्ता
संघ प्रमुख ने कहा कि भाजपा सहित कोई भी आनुवांशिक संगठन संघ के अधीन नहीं है।
- सभी संगठन स्वतंत्र हैं।
- संघ केवल सलाहकार की भूमिका निभाता है।
- निर्णय लेने और काम करने की आज़ादी हर संगठन को है।
भाषा विवाद पर राय
भागवत ने कहा कि भारतीयों को कम से कम तीन भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए –
- मातृभाषा
- राज्य भाषा
- राष्ट्रभाषा
उन्होंने कहा कि विदेशी भाषा को राष्ट्रभाषा नहीं बनाया जा सकता, लेकिन अंग्रेजी सीखने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपयोगी है।
हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण पर बयान
मोहन भागवत ने कहा कि इस्लाम भारत में आने के बाद से यहीं है और आगे भी रहेगा।
- हिंदुओं की सोच ऐसी नहीं है कि भारत से इस्लाम को हटाया जाए।
- संघर्ष खत्म करने के लिए दोनों समुदायों में विश्वास जरूरी है।
- उन्होंने कहा, “हमें मानना होगा कि हम सब एक हैं।”
- साभार…
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