Powers: नई दिल्ली। एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन भारत के 15वें उपराष्ट्रपति चुने गए हैं। मंगलवार (9 सितंबर) को हुए चुनाव में उन्होंने इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी को हराया। राधाकृष्णन को 452 प्रथम वरीयता के वोट मिले, जबकि रेड्डी को 300 वोट हासिल हुए। जगदीप धनखड़ के जुलाई में इस्तीफे के बाद यह पद खाली था। अब राधाकृष्णन जल्द ही शपथ ग्रहण करेंगे।
उपराष्ट्रपति का संवैधानिक महत्व
भारत का उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। कार्यकाल पांच वर्ष का होता है, लेकिन उत्तराधिकारी के पदभार ग्रहण करने तक वे पद पर बने रह सकते हैं। राष्ट्रपति के इस्तीफे, मृत्यु या असमर्थ होने पर उपराष्ट्रपति कार्यकारी राष्ट्रपति का दायित्व निभाते हैं।
राज्यसभा के सभापति के रूप में भूमिका
उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं और सदन की कार्यवाही संचालन, नियमों की व्याख्या तथा विशेषाधिकार नोटिस पर अंतिम निर्णय उनका ही होता है। वे समितियों का गठन, अध्यक्ष नियुक्ति और सदस्यों को नामित करने का अधिकार रखते हैं। साथ ही हज समिति व प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया अध्यक्ष चयन समिति जैसे निकायों में भी भूमिका निभाते हैं।
वेतन और सुविधाएं
उपराष्ट्रपति को अलग से वेतन नहीं मिलता, बल्कि उन्हें राज्यसभा के सभापति के रूप में वेतन-भत्ते मिलते हैं। वर्तमान वेतन ₹4 लाख प्रतिमाह है, साथ ही भत्ते और आवास-यातायात की सुविधाएं मिलती हैं। कार्यकारी राष्ट्रपति बनने पर वे राष्ट्रपति का वेतन और भत्ते पाने के अधिकारी होते हैं।
सेवानिवृत्ति के बाद उपराष्ट्रपति को ₹2 लाख मासिक पेंशन, सरकारी बंगला, सुरक्षा और स्टाफ सपोर्ट मिलता है। निधन की स्थिति में उनकी पत्नी को आजीवन टाइप-7 आवास उपलब्ध कराया जाता है।
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