आरक्षक से लेकर डीएसपी तक सभी को पढ़ाया जाएगा साइबर सिक्योरिटी का पाठ
Training: भोपाल। राज्य में लगातार बढ़ रहे साइबर अपराध से निपटने के लिए मध्य प्रदेश पुलिस ने बड़ा कदम उठाया है। अब आरक्षक से लेकर डीएसपी तक हर पुलिसकर्मी को साइबर अपराध की पढ़ाई करनी होगी। हाल ही में भर्ती हुए आरक्षकों के बैच से इसकी शुरुआत हो चुकी है।
नए पाठ्यक्रम में पुलिसकर्मियों को सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। केस स्टडीज़, डिजिटल अरेस्ट की प्रक्रिया और साइबर ठगी की जांच जैसे पहलुओं को शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य यह है कि थाने या हेल्प डेस्क पर आने वाले पीड़ितों की मदद करने वाला पहला पुलिसकर्मी साइबर अपराध की जटिलताओं को समझकर त्वरित कार्रवाई कर सके।
राज्य सरकार हर जिले में साइबर थाना और हर थाने में साइबर हेल्प डेस्क स्थापित करने की तैयारी कर रही है। प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित है, लेकिन जल्द लागू होने की संभावना है।
प्रदेश में साइबर अपराध की स्थिति
- मई 2021 से जुलाई 2025 तक करीब 1,054 करोड़ रुपये की साइबर ठगी हुई।
- अब तक सिर्फ 2 करोड़ रुपये की राशि पीड़ितों को लौटाई जा सकी है।
- लगभग 8% राशि होल्ड है, जो कोर्ट के आदेश पर लौट सकती है।
- यानी करीब 90% ठगी गई राशि की रिकवरी मुश्किल है।
पाठ्यक्रम में शामिल विषय
- क्रिप्टोकरेंसी और डार्क वेब
- साइबर सुरक्षा और ओपन सोर्स इंटेलिजेंस
- मोबाइल और पासवर्ड सिक्योरिटी
- इंटरनेट मीडिया, कॉल डिटेल रिकॉर्ड और जीपीएस डेटा विश्लेषण
- कंप्यूटर/मोबाइल/नेटवर्क से डेटा रीस्टोर
- साइबर लॉ और डिजिटल अरेस्ट
- विभिन्न वायरस और साइबर अटैक की जांच
एडीजी (प्रशिक्षण) राजाबाबू सिंह के अनुसार, “आरक्षकों को भी डीएसपी स्तर के समान साइबर अपराध का विषय पढ़ाया जाएगा। इससे पुलिसकर्मी अपराध की तह तक पहुंचने, अपराधियों के नेटवर्क का पता लगाने और ठगी की राशि रिकवर करने में सक्षम होंगे। जरूरत पड़ने पर पाठ्यक्रम को समय-समय पर अपडेट किया जाएगा।”
साभार….
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