कंपनी से गायब मिला केमिकल का बिल — केमिकल एनालिस्ट गिरफ्तार
औद्योगिक प्रोपेलीन ग्लायकाल से बनी दवा पर एसआईटी की जांच तेज, अब आपूर्तिकर्ता पर भी शिकंजा कसने की तैयारी
Syrup scandal: भोपाल। मध्य प्रदेश में 24 मासूम बच्चों की जान लेने वाले ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप कांड में जांच के नए खुलासे हो रहे हैं।
एसआईटी (विशेष जांच दल) को जांच में पता चला है कि इस सिरप के निर्माण में उपयोग किए गए प्रोपेलीन ग्लायकाल का बिल ही कंपनी से गायब है।
यही केमिकल जांच का केंद्र बिंदु बना हुआ है, क्योंकि अब यह तय करना है कि कंपनी ने औषधीय उपयोग वाला प्रोपेलीन ग्लायकाल मंगाया था या औद्योगिक उपयोग वाला।
यदि आपूर्तिकर्ता ने औद्योगिक केमिकल भेजा था, तो उसे भी आरोपित बनाया जा सकता है।
🧪 केमिकल एनालिस्ट के. माहेश्वरी तीन दिन की रिमांड पर
इसी मामले में श्रीसन फार्मा कंपनी की केमिकल एनालिस्ट के. माहेश्वरी को गिरफ्तार कर लिया गया है।
उन्हें बुधवार को छिंदवाड़ा जिले के परासिया न्यायालय में पेश किया गया, जहां से तीन दिन की पुलिस रिमांड पर सौंपा गया।
एसआईटी उनसे यह पता लगाने की कोशिश करेगी कि
- दवा की गुणवत्ता जांच में क्या लापरवाही हुई,
- टेस्ट रिपोर्ट क्यों गायब की गई,
- और कंपनी में नियामक नियमों की अनदेखी किस स्तर पर हुई।
सूत्रों के अनुसार, एसआईटी ने माहेश्वरी से कोल्ड्रिफ सिरप की क्वालिटी रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन वह रिपोर्ट नहीं दी गई।
यह आशंका है कि संभवतः दवा की टेस्टिंग कराई ही नहीं गई थी।
☠️ जांच में सामने आया जानलेवा केमिकल
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, सिरप में डायथिलीन ग्लायकाल (DEG) की मात्रा 48.6 प्रतिशत पाई गई — जबकि मानक सीमा केवल 0.1 प्रतिशत है।
यही विषाक्त केमिकल बच्चों की मौत की असली वजह बना।
इस मामले में अब तक कंपनी मालिक जी. रंगनाथन,
केमिकल एनालिस्ट के. माहेश्वरी,
और कफ सिरप लिखने वाले डॉक्टर प्रवीण सोनी सहित पांच आरोपितों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
👩⚖️ गुपचुप तरीके से कोर्ट में पेशी
चूंकि 24 मृत बच्चों में से 15 परासिया ब्लॉक के थे, इसलिए इलाके में गुस्सा चरम पर है।
पुलिस ने सुरक्षा की दृष्टि से माहेश्वरी को रात में गुपचुप तरीके से अदालत में पेश किया।
पहले जब कंपनी मालिक रंगनाथन को कोर्ट लाया गया था, तब पीड़ित परिवारों ने “हत्यारे को फांसी दो” के नारे लगाए थे।
ऐसे में माहेश्वरी की पेशी में भी पुलिस ने एहतियात बरती।
🏭 श्रीसन फार्मा के खिलाफ अब तक की कार्रवाई
तिथि | कार्रवाई |
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1 अक्टूबर | मप्र औषधि नियंत्रक ने तमिलनाडु औषधि नियंत्रक को प्लांट निरीक्षण का पत्र भेजा। |
2–3 अक्टूबर | तमिलनाडु औषधि प्रशासन ने निरीक्षण में 364 कमियां पाईं, उत्पादन बंद कराया गया। |
5 अक्टूबर | परासिया थाने में कंपनी संचालक सहित अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज। |
8 अक्टूबर | मालिक जी. रंगनाथन को फरार घोषित, ₹20,000 का इनाम घोषित। |
9 अक्टूबर | एसआईटी ने रंगनाथन को चेन्नई से गिरफ्तार किया। |
10 अक्टूबर | आरोपी को छिंदवाड़ा कोर्ट में पेश, 10 दिन की रिमांड (20 अक्टूबर तक)। |
13 अक्टूबर | तमिलनाडु औषधि प्रशासन ने कंपनी का उत्पादन लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द किया। |
🔍 अब जांच किस दिशा में
एसआईटी अब कंपनी के सप्लायर नेटवर्क, खरीद बिलों और रॉ मटेरियल इनवॉइस की जांच कर रही है।
मुख्य सवाल यही है — क्या कंपनी ने जानबूझकर औद्योगिक ग्रेड के केमिकल का इस्तेमाल किया या यह लापरवाही का नतीजा था।
जांच पूरी होने के बाद आपूर्तिकर्ता को भी आरोपी बनाया जा सकता है।
साभार…
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