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Betulwani Expose: 18 वर्षों से नोटिस-नोटिस खेल रही जेल-नपा

18 वर्षों से नोटिस-नोटिस खेल रही

खबर छपते ही हुआ था अस्थायी इलाज

Betulwani Expose: बैतूल। शहर के सबसे व्यस्त व्यवसायिक क्षेत्र कोठीबाजार में नगर पालिका के ठीक सामने जेल बाऊंड्री से सैफ्टिक टैंक का गंदा पानी बाहर आ रहा है जो बहते हुए मुख्य सड़क पर 300 मीटर तक फैल रहा है। सांध्य दैनिक बैतूलवाणी में 4 नवम्बर 2025 को जेल के सैफ्टिक टैंक के गंदे पानी का आनंद ले रहा शहर शीर्षक से समाचार प्रकाशित हुआ था। जिसमें यह उल्लेख था कि राहगीर और छात्राएं सैफ्टिक टैंक के इस गंदे पानी के ऊपर चलने के लिए मजबूर हैं। खबर छपते ही शाम को नपा प्रशासन ने नाली के उस गड्ढे पर कपड़े से मुंह बंद कर दिया था जहां से सैफ्टिक टैंक का पानी बहकर बाहर आ रहा था। लेकिन सुबह होते-होते पुन: वही स्थिति बन जाती है।


18 वर्षों से खेल रहे नोटिस-नोटिस


सांध्य दैनिक बैतूलवाणी को मिली पुख्ता जानकारी के अनुसार वर्ष 2007 से नगर पालिका परिषद इस समस्या को लेकर जेल अधीक्षक बैतूल से पत्र व्यवहार कर रही है जिसमें सितम्बर 2007 में पहला नोटिस, दिसम्बर 2008, मई 2012, सितम्बर 2012, दिसम्बर 2013, मार्च 2018 और अब नवम्बर 2025 शामिल है लेकिन 18 वर्ष बीत जाने के बाद भी यथावत स्थिति बनी हुई है। इस दौरान नगर पालिका ने लाखों का ठेका देकर जेल परिसर की बाऊंड्री के बाहर नाली निर्माण करवाया था लेकिन नाली का ढलान व्यवस्थित ना होने के कारण जेल के सैफ्टिक टैंक का पानी इसमें जमा होकर ओव्हरफ्लो हो रहा था। बाद में तो नाली के ऊपर एक गड्ढा बनाकर पानी बहाने की व्यवस्था बना दी थी। जबकि पूर्व में जेल कम्पाउंड का गंदा पानी जेल परिसर के अंदर ही बहता था। नगर पालिका परिषद ने जेल अधीक्षक को पहला नोटिस पत्र क्रं. एचएस/2007/4248 दिनांक 3.9.2007 को दिया था और वर्तमान में अंतिम नोटिस पत्र क्रं. स्वा.शा./2025 दिनांक 3.11.2025 को दिया। 18 वर्ष की लंबी अवधि बीत जाने के बाद भी इस समस्या का निराकरण ना होना यह दर्शाता है कि जेल और नपा की कार्यप्रणाली कितनी खराब है।


18 वर्षों से खेल रहे नोटिस-नोटिस


सांध्य दैनिक बैतूलवाणी को मिली पुख्ता जानकारी के अनुसार वर्ष 2007 से नगर पालिका परिषद इस समस्या को लेकर जेल अधीक्षक बैतूल से पत्र व्यवहार कर रही है जिसमें सितम्बर 2007 में पहला नोटिस, दिसम्बर 2008, मई 2012, सितम्बर 2012, दिसम्बर 2013, मार्च 2018 और अब नवम्बर 2025 शामिल है लेकिन 18 वर्ष बीत जाने के बाद भी यथावत स्थिति बनी हुई है। इस दौरान नगर पालिका ने लाखों का ठेका देकर जेल परिसर की बाऊंड्री के बाहर नाली निर्माण करवाया था लेकिन नाली का ढलान व्यवस्थित ना होने के कारण जेल के सैफ्टिक टैंक का पानी इसमें जमा होकर ओव्हरफ्लो हो रहा था। बाद में तो नाली के ऊपर एक गड्ढा बनाकर पानी बहाने की व्यवस्था बना दी थी। जबकि पूर्व में जेल कम्पाउंड का गंदा पानी जेल परिसर के अंदर ही बहता था। नगर पालिका परिषद ने जेल अधीक्षक को पहला नोटिस पत्र क्रं. एचएस/2007/4248 दिनांक 3.9.2007 को दिया था और वर्तमान में अंतिम नोटिस पत्र क्रं. स्वा.शा./2025 दिनांक 3.11.2025 को दिया। 18 वर्ष की लंबी अवधि बीत जाने के बाद भी इस समस्या का निराकरण ना होना यह दर्शाता है कि विभागीय अधिकारी इस समस्या को लेकर कितने गंभीर है।


इस दौरान यह रहे नपा अध्यक्ष और सीएमओ


इन 18 वर्षों में भाजपा की श्रीमती पार्वती बाई बारस्कर 2005 से 2010 तक, कांग्रेस के डॉ. राजेंद्र देशमुख 2010 से 2015, भाजपा के अलकेश आर्य 2015 से 2020, इसके बाद पुन: भाजपा की पार्वती बाई 2022 में नपाध्यक्ष निर्वाचित हुई। 2007 से 2025 के बीच 10 सीएमओ आ चुके हैं इनमें 2005 से 2009 तक संदीप श्रीवास्तव, 2009 से 2012 तक जीके यादव, 2013-2014 में पवन सिंह, 2015 में पीके द्विवेदी, 2016 के दौरान पवन राय, 2016 से 2018 अशोक शुक्ला, 2018 से 2020 प्रियंका सिंह, 2020 से 2023 अक्षत बुंदेला, 2023 से 2024 ओपी भदौरिया एवं 2024 सितम्बर से सतीष मटसेनिया बैतूल नगर पालिका के सीएमएओ के रूप में काम कर रहे हैं।


इन जनप्रतिनिधियों ने भी नहीं दिया ध्यान


18 साल से इस समस्या पर नगर पालिका प्रशासन और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने गंभीरता तो नहीं दिखाई वहीं इस दौर में कांग्रेस और भाजपा दोनों से ही विधायक निर्वाचित होते रहे लेकिन ये जितने विधायक रहे वे भी इस समस्या से अंजान दिखे। 2007 में भाजपा के शिवप्रसाद राठौर विधायक थे। 2008 से 2013 तक भाजपा के अलकेश आर्य, 2013 से 2018 तक भाजपा के हेमंत खण्डेलवाल, 2018 से 2023 तक कांग्रेस के निलय डागा एवं 2023 से फिर भाजपा के हेमंत खण्डेलवाल बैतूल विधायक हैं लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई हैं।


जिला प्रशासन को क्यों नहीं किया सूचित


2007 से नगर पालिका इस समस्या से जूझ रही है लेकिन 18 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी नपा के जनप्रतिनिधियों और ना ही अधिकारियों ने जिला प्रशासन को इस समस्या से अवगत कराया और ना ही न्यायालय की शरण लेने का प्रयास किया। चूंकि नपा में सत्तारूढ़ पार्टियों के जनप्रतिनिधि काबिज रहते हैं अगर वे इस समस्या को लेकर गंभीर होते तो अपने राजनैतिक संपर्कों का लाभ उठाकर इस समस्या का स्थायी निराकरण करवा सकते थे लेकिन इन नेताओं को इस जनहित की समस्या से कोई लेना-देना नहीं है वे प्राथमिकता उसी काम को देते हैं जहां से कोई अच्छी खबर आती है।

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