Big step: भोपाल: मध्यप्रदेश में 2028 के विधानसभा चुनाव की तैयारी तेज हो गई है और इसी कड़ी में बीजेपी ने आदिवासी क्षेत्रों में समग्र ग्राम विकास पर आधारित नया ब्लूप्रिंट तैयार किया है। पार्टी ने आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 विधानसभा सीटों पर ‘संकुल विकास परियोजना’ की शुरुआत की है। इस परियोजना के तहत तीन से चार गांवों को मिलाकर एक क्लस्टर बनाया जाएगा, जहां बिना सरकारी मदद के विकास कार्य ट्राइबल सिविल सोसाइटी के सहयोग से किए जाएंगे।
कैसे काम करेगी परियोजना?
बीजेपी जनजातीय मोर्चा द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान में—
- हर विधानसभा क्षेत्र में 3–4 गांवों को जोड़कर एक संकुल बनाया जाएगा।
- ये ग्राम पंचायतें आपस में जुड़ी होंगी, जिससे संपर्क और पहुंच आसान होगी।
- संकुल में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, जल संकट, आजीविका और पलायन जैसे मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा।
- विकास कार्यों की निगरानी स्थानीय सामाजिक संगठनों द्वारा की जाएगी, न कि सरकारी तंत्र से।
क्लस्टर की प्रोफाइल तैयार
बीजेपी ने प्रत्येक संकुल की विस्तृत प्रोफाइल तैयार करवाई है। इसमें शामिल हैं:
- संकुल का नाम
- जिला व ब्लॉक
- शामिल ग्राम पंचायतें
- तहसील मुख्यालय से दूरी
- कुल जनसंख्या व परिवारों का आंकड़ा
हर संकुल में अधिकतम 8 ग्राम पंचायतें शामिल की जा सकेंगी।
संकुल कमेटी का गठन
परियोजना के संचालन के लिए बनाई जाने वाली समिति में—
- क्षेत्र के बीजेपी विधायक
- ग्राम पंचायतों के सरपंच
- जिला व जनपद पंचायत अध्यक्ष
शामिल होंगे।
जहां विधायक नहीं है, वहां पूर्व विधायक या हारे हुए उम्मीदवार समिति में जोड़े जाएंगे।
आदिवासी क्षेत्रों में राजनीतिक समीकरण
मध्यप्रदेश में आदिवासी वर्ग के लिए कुल 47 सीटें आरक्षित हैं, जिनमें:
- 25 सीटें बीजेपी के पास,
- 21 सीटें कांग्रेस के पास,
- 1 सीट भारत आदिवासी पार्टी के पास है।
बीजेपी इस परियोजना को कांग्रेस के विकास मॉडल के विकल्प के रूप में पेश करके आदिवासी क्षेत्रों में अपनी पकड़ और मजबूत करने का दावा कर रही है।
मोहन सरकार में आदिवासी प्रतिनिधित्व
राज्य की मोहन सरकार में आदिवासी समुदाय से 5 मंत्री शामिल हैं—
विजय शाह, नागर सिंह चौहान, निर्मला भूरिया, संपतिया उईके और राधा सिंह।
बीजेपी का मानना है कि यह परियोजना विकास के साथ-साथ चुनावी तौर पर भी आदिवासी मतदाताओं के बीच सकारात्मक प्रभाव छोड़ेगी।
साभार…
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