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Arrested: जनधन खाते से 10 करोड़ की ठगी का पर्दाफाश

जनधन खाते से 10 करोड़ की ठगी

पुलिस की बड़ी सफलता,तीन गिरफ्तार

Arrested: बैतूल। बैतूल पुलिस को बड़ी सफलता हासिल हुई है। पुलिस ने सायबर ठगी के मामले मेंं लगभग 10 करोड़ रुपए की ठगी का खुलासा किया है। इस ठगी में एक मृतक व्यक्ति के खाते का भी उपयोग किया गया था। पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 15 मोबाइल, 26 सिम, 11 बैंक पासबुक सहित अन्य सामग्री जब्त की है। इसके अलावा आरोपियों से 28 हजार रुपए भी बरामद किए हैं। पुलिस ने कंट्रोल रूम में आज इस सायबर ठगी का खुलासा किया है। इस दौरान एसपी वीरेंद्र जैन, एएसपी कमला जोशी एवं एसडीओपी सुनील लाटा मौजूद थे।


शिकायत पर हुआ यह खुलासा


एसपी वीरेंद्र जैन ने बताया कि बैतूल में एक मजदूरी करने वाले व्यक्ति बिसराम इवने (40) निवासी खेड़ी सावलीगढ़ (थाना कोतवाली क्षेत्र) ने कलेक्टर और एसपी कार्यालय बैतूल में एक लिखित जांच आवेदन दिया। आवेदक ने बताया कि उसके जन-धन खाते में लगभग 2 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन दिखाई दे रहे हैं, जिनकी उसे कोई जानकारी नहीं थी। जब वह बैंक में केवायसी कराने गया, तभी उसे इन भारी-भरकम ट्रांजैक्शनों का पता चला। शिकायत की गंभीरता देखते हुए स्क्क के निर्देशानुसार साइबर सेल बैतूल ने तत्काल जांच प्रारंभ की। प्रारंभिक जाँच में पता चला कि जून 2025 से अब तक उसके खाते से लगभग 1.5 करोड़ रुपये का अवैध ट्रांजैक्शन किया गया था।


7 खातों में एक मृत व्यक्ति का भी था एकाउंट


जांच में सामने आया कि एक ही बैंक के 7 अलग-अलग व्यक्तियों के बैंक खातों को निशाना बनाते हुए गिरोह ने 9 करोड़ 84 लाख 95 हजार 212 रुपये की हेराफेरी की। खाता धारकों में बिस्राम इवने, नर्मदा इवने, मुकेश उइके, नितेश उइके, राजेश बर्डे, अमोल और चंदन के नाम शामिल हैं। इन खाताधारकों में मृत व्यक्ति का नाम देखकर जांच टीम भी चौंक उठी। मुख्य गिरोह ने अपने कार्य को अंजाम देने के लिए मृत व्यक्ति राजेश बर्डे के खाते का भी किया इस्तेमाल। चौंकाने वाली बात यह रही कि मृतक राजेश बार्डे के खाते का उतनी ही सक्रियता से उपयोग किया जा रहा था, जैसे कोई जिंदा ग्राहक करता है। गिरोह ने मोबाइल नंबर बदला, एटीएम कार्ड जारी कराया, इंटरनेट/ मोबाइल बैंकिंग का लिया एक्सेस, ओटीपी पर कब्जा जमाया, और फिर मृत व्यक्ति के खाते से लगातार ऊँची रकम के लेन-देन किए। यह खुलासा पूरे केस का सबसे भयावह पहलू बनकर उभरा है।


बैंक में कार्यरत निजी व्यक्ति की सामने आई मिलीभगत
एसपी ने बताया कि पुलिस जाँच में पाया गया कि बैंक में पासबुक एंट्री करने वाला एक टेंपररी कर्मचारी ही इस गिरोह का मुख्य सहयोगी था। जिसकी सहायता से गिरोह के हाथ बैंक शाखा की गोपनीय ग्राहक जानकारी तक पहुँच चुके थे, जिसके जरिए पूरी वित्तीय फर्जीवाडे की मशीनरी चलाई गई। इसने ग्राहक के दस्तावेजों से छेड़छाड़, खातों में फर्जी मोबाइल नंबर लिंक कराना, एटीएम कार्ड जारी कराना पासबुक/चेकबुक का अनधिकृत उपयोग जैसे कार्यों के जरिए गिरोह को खातों तक अंदरूनी पहुंच उपलब्ध कराई। मुख्य अपचारी राजा राजपूत ने बैंक में काम करते हुए कई खातों की संवेदनशील जानकारी अवैध रूप से हासिल की। इसके तार जिले से बाहर बैठे साइबर अपराधियों से जुड़े पाए गए।


बस से इंदौर भेजते थे पूरी किट, यह सामग्री की जब्त


गिरोह प्रत्येक लक्षित खाते की एक किट तैयार करता था, जिसमे लिंक की गई सिम, एटीएम कार्ड, पासबुक, चेकबुक शामिल रहती थी। यह किट बस के माध्यम से इंदौर भेजी जाती थी, जहाँ से बाहरी फ्रॉडिस्टर बड़े ट्रांजैक्शन को अंजाम देते थे। पुलिस ने आरोपियों के ठिकाने पर छापामार कार्यवाही कर 15 मोबाइल फोन (25 सिम सहित), 02. 21 एटीएम कार्ड, 28,000 नकद (काले बैग में),11 बैंक पासबुक, 7 चेकबुक, 2 पीओएस मशीन, 69 एटीएम जमा रसीदें (21 लाख जमा), 48,000 की जमा पर्ची, 2 लैपटॉप, 1 ई एण्ड ट्रिमफाइबर राउटर ,एवं 4 रजिस्टर व डायरी (रिकॉर्ड) जब्त किया है।


इनको किया गिरफ्तार, दो टीम की थी गठित


पुलिस ने इस ठगी के मामले में राजा उर्फ आयुष चौहान, 28 वर्ष, निवासी खेड़ी (सावलीगढ), अंकित राजपूत, 32 वर्ष, निवासी इंदौर, नरेंद्र सिंह राजपुत, 24 वर्ष, निवासी इंदौर को गिरफ्तार किया है। इस कार्रवाई में बैतूल पुलिस की तकनीकी दक्ष साइबर सेल टीम ने काम किया। टीम में कोतवाली टीआई नीरज पाल सहित कई अनुभवी स्ढ्ढ व तकनीकी विशेषज्ञ शामिल थे। साइबर सेल से एसआई अश्विनी चौधरी, एसआई नवीन सोनकर, राजेंद्र धाड़से, बलराम राजपूत, दीपेंद्र सिंह, पंकज नरवरिया और सचिन हनवते की टीम ने डिजिटल साक्ष्य जुटाने और बैंकिंग ट्रेल ट्रैक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दो विशेष एसआईटीटीमें गठित की गई जिनमें एसआई राकेश सरेयाम, एसआई रवि शाक्य, एसआई छत्रपाल धुर्वे, एसआई उत्तम नंदन मस्तकार, प्रधान आरक्षक तरुण, प्रधान आरक्षक शिव उईके, प्रधान आरक्षक दीपक कटियार, आरक्षक विकास जैन, आरक्षक अनिरुद्ध यादव, आरक्षक विवेक टेटवार, महिला आरक्षक निर्मला ऊईके, आरक्षक उज्ज्वल शामिल रहे।
इनका कहना…
इस जटिल साइबर ठगी को टीम ने तकनीकी दक्षता और बेहतरीन तालमेल के साथ उजागर किया। जिले के बाहर की गई कार्रवाई में भी टीम ने शानदार प्रोफेशनलिज़्म का प्रदर्शन किया है। जप्त उपकरणों का फॉरेंसिक विश्लेषण जारी, गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश, मृतक राजेश बार्डे के खाते की पूरी ट्रांजैक्शन चेन तैयार, बैतूल पुलिस का संकल्प, जन सुरक्षा और साइबर सुरक्षा, दोनों पर सख्त पहरा यह कार्रवाई निश्चित रूप से साइबर अपराधियों के लिए बड़ा झटका साबित होगी।
वीरेंद्र जैन, एसपी, बैतूल

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