एक माह का समय देने के बाद भी कुछ नहीं किए दस्तावेज जमा

BetulVani Expose: बैतूल। राज्य सरकार की मंशा अनुरूप बैतूल में पैथालॉजी लैब की जांच करने में स्वास्थ्य विभाग रूचि नहीं दिखा रहा है यही कारण है कि जिले के दो वरिष्ठ पैथालॉजिस्टों ने व्यवस्था पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एक पैथालॉजिस्ट ने तो कुछ पैथालॉजी लैब पर यह भी आरोप लगाया कि कमिशन के नाम पर दुकानें चल रही हैं और कुछ चिकित्सक मरीजों की अनावश्यक जांच करवा रहे हैं। वहीं एक पैथालॉजिस्ट ने यह भी आरोप लगाया था कि सभी पैथालॉजी लैब की जानकारी सार्वजनिक होना चाहिए उनकी रेट लिस्ट, उन्हें यहां सिग्रेचर अर्थाटी पैथालॉजिस्ट का नाम भी सार्वजनिक होना चाहिए। साथ ही उनका नंबर भी सूचना पटल पर लिखा होना चाहिए। सांध्य दैनिक बैतूलवाणी ने इस मामले में पड़ताल की और स्त्रोतों के माध्यम से जानकारी एकत्र की जिसमें पता चला कि रजिस्टर्ड पैथालॉजी लैब में तीन स्थानीय और 16 बाहर के पैथालॉजिस्ट हैं। हालांकि रजिस्टर्ड 23 लैबों में 4 लैबों के संचालकों ने लैब बंद करने के आवेदन दिए हैं, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
यह है पैथालॉजिस्ट की सूची
सांध्य दैनिक बैतूलवाणी को मिली जानकारी के मुताबिक 3 स्थानीय पैथालॉजिस्ट में डॉ. अशोक बारंगा, डॉ. डब्ल्यूए नागले, डॉ. स्मिता राठी हैं। वहीं बाहर के 16 पैथालॉजिस्ट में डॉ. पीयूष धवन(तीन लैब), डॉ. प्रशांत एस एसवंते, डॉ. राहुल करोदे, डॉ. रोहन गुप्ता, डॉ. अरूण मैती (दो लैब), डॉ. प्रिंस लोकवानी, डॉ. पूजा प्रपना, डॉ. हेमंत कुमार कोष्टी, डॉ. फजल अहमा, डॉ. देवांग शर्मा(दो लैब), डॉ. सुशील शर्मा, डॉ. चंचलेश डहेरिया, डॉ. डेनिस विनीत कुमार शिंदे, डॉ. पंथी कुमारी चंद्रकांता, डॉ. राजेश कुमार चौरसिया शामिल हैं।
एक पैथालॉजिस्ट तीन लैब
सांध्य दैनिक बैतूलवाणी को मिली जानकारी के मुताबिक पैथालॉजिस्ट डॉ. पीयूष धवन तीन पैथालॉजी लैब में सिग्रेचर अर्थाटी हैं। वहीं दो-दो लैब में डॉ. अरूण मेती और डॉ. देवांग शर्मा सिग्रेचर अर्थाटी हैं। इन पैथालॉजिस्ट की यह जानकारी नहीं मिल पाई है कि यह किस शहर से हैं और इनके पास क्या डिग्री है? इस मामले में स्वास्थ्य विभाग को संबंधित पैथालॉजी लैब से पैथालॉजिस्ट की पूरी जानकारी हासिल करना चाहिए कि उनके पास क्या डिग्री है और उनके द्वारा कितने पैथालॉजी लैब में सिग्रेचर अर्थाटी दी गई है। इसके अलावा बाहर से आने वाले पैथालाजिस्ट कब-कब बैतूल आकर अपनी निगरानी में जांच करवाते हैं? या फिर इनका डिजिटल सिग्रेचर और लेटर पेड से से ही काम चल रहा है? यह भी जांच होनी चाहिए कि पैथालॉजिस्ट ने इन लैबों से अनुबंध किया या नहीं? अगर किया गया तो अनुबंध की जानकारी और वर्तमान में वैध है या नहीं?
गाइडलाइन दो लैब में कर सकते हैं कार्य
स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन के अनुसार कोई भी पैथालॉजिस्ट दो लैब से अधिक पर कार्य नहीं कर सकता है। अगर यह गाइडलाइन है तो क्या डॉक्टर पीयूष धवन बैतूल के तीन पैथालॉजी लैब पर सिग्रचर दे सकते हैं। अब सवाल यह भी है कि डॉक्टर पीयूष धवन ने इन पैथालॉजी लैब से अनुबंध किए हैं या नहीं या फिर उनका अनुबंध खत्म हो गया है? या फिर डॉक्टर की आंखों में धूल झोंककर उनके नाम का पैथालॉजी लैब संचालकों द्वारा गलत तरीके से उपयोग किया जा रहा है। अगर ऐसा है तो डॉक्टर पीयूष धवन को इन पैथालॉजी लैबों के संचालकों पर एफआईआर दर्ज करानी चाहिए। यह भी नियम कहता है कि अगर किसी पैथालॉजिस्ट का किसी लैब से अनुबंध खत्म हो गया है तो उसे संबंधित जिले के सीएमएचओ को सूचना देना है जिससे उसका नाम रजिस्टे्रशन से हटाया जा सके।
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