Address: नई दिल्ली: आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शुक्रवार को मणिपुर दौरे के दौरान एक महत्वपूर्ण संबोधन दिया, जिसमें उन्होंने भारत की प्राचीन सभ्यता, समाज की संरचना और राष्ट्र की एकता पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत केवल एक आधुनिक राष्ट्र-राज्य नहीं बल्कि हजारों वर्षों पुरानी जीवंत सभ्यता है, जिसकी जड़ें इतनी मजबूत हैं कि अनेक बाहरी आक्रमणों और चुनौतियों के बावजूद इसका अस्तित्व कभी कमजोर नहीं पड़ा।
भारत अमर सभ्यता, दुनिया में अनोखा – भागवत
भागवत ने कहा कि समय के साथ परिस्थितियां बदलती हैं और कई बड़ी सभ्यताएं जैसे यूनान, मिस्र और रोम इतिहास में विलुप्त हो गईं, लेकिन भारत आज भी मजबूती के साथ खड़ा है। उनके अनुसार, भारत की सामाजिक संरचना इतनी मजबूत है कि हिंदू समाज हमेशा जीवित रहेगा, और अगर हिंदू सभ्यता न रहे तो दुनिया का अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता है।
रामायण–महाभारत और भारतीय एकता का संदर्भ
अपने भाषण में उन्होंने महाभारत, रामायण और कालिदास के साहित्य का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतवर्ष हजारों वर्षों से एक सांस्कृतिक रूप से एकीकृत राष्ट्र रहा है। उन्होंने कहा कि सीमाएं और शासक बदलते रहे, लेकिन भारत की सांस्कृतिक चेतना और मूल पहचान कभी नहीं टूटी। स्वतंत्रता संग्राम का उल्लेख करते हुए भागवत बोले कि भारत ने लगभग 90 वर्षों तक संघर्ष कर ब्रिटिश साम्राज्य को परास्त किया, जबकि कभी कहा जाता था कि ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य कभी नहीं डूबता।
समाज की एकता सबसे महत्वपूर्ण
भागवत ने जोर देकर कहा कि आरएसएस राजनीति नहीं करता और न ही किसी राजनीतिक संगठन को नियंत्रित करता है।
इंफाल में आदिवासी नेताओं से मुलाकात में उन्होंने कहा कि समाज में एकता के लिए एकरूपता जरूरी नहीं है, लेकिन आपसी सहयोग और जुड़ाव बेहद आवश्यक है।
आर्थिक स्वावलंबन और सक्षम भारत का लक्ष्य
आर्थिक स्वावलंबन पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत को ऐसा राष्ट्र बनना चाहिए जो
- आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो,
- सैन्य शक्ति में सक्षम हो,
- और ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में पूरी दुनिया को दिशा देने वाला हो।
उनका लक्ष्य है कि भारत में कोई नागरिक दुखी, बेरोजगार या वंचित न रहे और हर व्यक्ति समृद्ध भारत के निर्माण में योगदान देकर सम्मानपूर्वक जीवन जी सके।
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