Adjourned: बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बुधवार को अपने अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग (स्पेडेक्स) को दूसरी बार स्थगित कर दिया है। यह मिशन पहले 7 जनवरी को स्थगित हुआ था, और पुनः 9 जनवरी को इसे डॉकिंग के लिए पुनर्निर्धारित किया गया था। लेकिन, कुछ तकनीकी खामियों के कारण इसे फिर से स्थगित किया गया। अगर यह मिशन सफल रहता है, तो भारत अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक रखने वाला चौथा देश बन जाएगा।
डॉकिंग प्रक्रिया में खामी की वजह से स्थगन
ISRO ने इस स्थगन की जानकारी अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल (अब एक्स) पर पोस्ट कर दी। जानकारी के अनुसार, उपग्रहों के बीच 225 मीटर की दूरी तक पहुंचने के अभ्यास में कुछ खामियां देखी गईं, जिसके कारण डॉकिंग प्रक्रिया को स्थगित करना पड़ा। हालांकि, ISRO ने यह भी स्पष्ट किया कि दोनों उपग्रह सुरक्षित हैं।
स्पेडेक्स मिशन का महत्व
स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पेडेक्स) मिशन में ISRO दो उपग्रहों का उपयोग करके अंतरिक्ष में डॉकिंग की किफायती प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन कर रहा है। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष योजनाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, खासकर भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के निर्माण और चंद्रमा पर भविष्य में मिशन भेजने के लिए डॉकिंग की तकनीक की आवश्यकता को देखते हुए।
उपग्रहों की लॉन्चिंग और डॉकिंग प्रक्रिया
30 दिसंबर को ISRO ने PSLV C60 रॉकेट के जरिए दो उपग्रहों एसडीएक्स01 (चेजर) और एसडीएक्स02 (टारगेट) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। इन दोनों उपग्रहों का वजन लगभग 220 किलोग्राम था और इन्हें 475 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में स्थापित किया गया था। इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष यानों के बीच डॉकिंग और अनडॉकिंग की तकनीक को प्रदर्शित करना था।
स्पेडेक्स मिशन क्यों अहम है?
स्पेडेक्स मिशन भारत के लिए कई अन्य अंतरिक्ष अभियानों में सहायक हो सकता है:
- चंद्रयान-4 मिशन के तहत भारत चंद्रमा से मिट्टी के नमूने लाने की योजना बना रहा है। डॉकिंग तकनीक के सफल होने पर यह कार्य आसान हो जाएगा।
- भारत अंतरिक्ष में अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है। इसके लिए भी डॉकिंग तकनीक का होना जरूरी है।
अंतरराष्ट्रीय महत्व
भारत के लिए यह मिशन केवल एक तकनीकी सफलता नहीं है, बल्कि अंतरिक्ष में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। यदि ISRO इस मिशन में सफल होता है, तो यह भारत को अंतरिक्ष की उच्चतम तकनीकी मानक पर स्थापित करेगा, जिससे भविष्य में अन्य अंतरिक्ष अभियानों में भी लाभ होगा।
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