रात भर कलेक्ट्रेट के समक्ष आदिवासियों ने दिया धरना
Agitation: बैतूल।वन अधिकार पट्टे दिए जाने की मांग को लेकर आदिवासियों ने सोमवार को नींद हराम आंदोलन का शंखनाद किया था। आदिवासियों ने ढोल ढमाकों के साथ सारी रात कलेक्ट्रेट के समक्ष बिताई। इस दौरान उन्होंने जमकर नारेबाजी करते हुए मांगें पूरी करने की मांग की है। मंगलवार को धरना स्थल पर अधिकारी पहुंचे और आदिवासियों को उनकी मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार कर पूरी करने का आश्वासन दिया जिसके बाद आदिवासियों ने आंदोलन खत्म किया।
कल से बैठे थे धरने पर
श्रमिक आदिवासी संगठन, किसान आदिवासी संगठन, समाजवादी जन परिषद के राजेंद्र गढ़वाल ने बताया कि प्रशासन की समझाइए इसके बाद धरना खत्म किया है। लंबित मांगो और समस्याओं को लेकर किया था धरना प्रदर्शन किया गया था जिसे प्रशासन ने पूर्ण करने का आश्वासन दिया है। जानकारी के अनुसार बैतूल जिले में सोमवार रात को आदिवासी समुदाय ने अपनी मांगों को लेकर एक अनोखा विरोध प्रदर्शन किया।
रात भर बैठे रहे कलेक्ट्रेट के सामने
घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक गांवों के आदिवासी कलेक्ट्रेट के सामने धरने पर बैठे और रात भर ढोल-ढमाके के साथ नृत्य कर नींद हराम आंदोलन चलाया। बोड़ की भूरी यादव ने गांव की समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि बारिश में नदी पर पुल न होने से गांव पूरी तरह कट जाता है, जिससे मरीजों और स्कूली बच्चों को परेशानी होती है। प्रदर्शनकारियों ने अनिश्चितकालीन धरने की घोषणा की है।
पट्टे देने की मांग
श्रमिक आदिवासी संगठन और समाजवादी जन परिषद के बैनर तले एकजुट हुए प्रदर्शनकारियों ने दो टूक मांग रखी कि या तो उन्हें वन अधिकार कानून के तहत जमीन के पट्टे और बुनियादी सुविधाएं दी जाएं, या फिर उन्हें गुलाम घोषित कर दिया जाए। जिले के रैनी पाठी, मढक़ा ढाना, सैंया गुड़ी, बोड़ रैय्यत और पीपल बर्रा समेत कई गांवों के करीब तीन सौ महिला-पुरुष इस आंदोलन में शामिल हुए। आंदोलन के नेता राजेंद्र गढ़वाल ने बताया कि इन आदिवासी परिवारों के पास पीढय़िों से वन क्षेत्र की जमीनें हैं, लेकिन प्रशासन उन्हें अतिक्रमणकारी मान रहा है।
चर्चा करने पहुंचे अधिकारी
प्रशासनिक अधिकारियों ने उनसे चर्चा का प्रयास किया, जो विफल रहा। आदिवासी नेताओं ने बताया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे और अधिकारियों के आवास पर भी नींद हराम आंदोलन करने की योजना बनाई जा रही हैं। मंगलवार को पुन: अधिकारी धरना स्थल पहुंचे और आदिवासियों की मांगों को सुना। इस दौरान अधिकारियों द्वारा आदिवासियों ने धरना समाप्त करने की बात भी कही गई। समझाईश के बाद आदिवासियों ने धरना समाप्त कर दिया।
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