Alert: मुंबई। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने राज्य सरकार को चेताया है कि अगर स्कूली शिक्षा में हिंदी को अनिवार्य किया गया तो उनकी पार्टी जनता के साथ मिलकर आंदोलन करेगी। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि महाराष्ट्र में केवल मराठी और अंग्रेजी को शिक्षा की भाषा बनाया जाए और हिंदी को वैकल्पिक ही रखा जाए। बुधवार को मीडिया से बातचीत में ठाकरे ने मांग की कि सरकार लिखित आदेश जारी करे जिसमें यह स्पष्ट हो कि पहली कक्षा से बच्चों को केवल मराठी और इंग्लिश पढ़ाई जाएगी और हिंदी को अनिवार्य नहीं किया जाएगा।
“जब सरकार ने कहा था कि हिंदी जरूरी नहीं होगी, तो फिर अब तक उसका आधिकारिक आदेश क्यों नहीं आया?” — राज ठाकरे
🏫 NEP 2020 और हिंदी को लेकर विवाद
महाराष्ट्र सरकार ने 16 अप्रैल 2025 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को लागू करने का फैसला लिया था। इसके तहत पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने की बात कही गई थी।
हालांकि, राज्यभर में कई संगठनों और राजनीतिक दलों ने इस निर्णय का विरोध किया। इसके बाद 22 अप्रैल को सरकार ने स्पष्ट किया कि हिंदी अनिवार्य नहीं होगी और छात्र अपनी तीसरी भाषा चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बयान दिया था कि हिंदी को लेकर कोई दबाव नहीं बनाया जाएगा। लेकिन MNS प्रमुख ने सवाल उठाया कि यह घोषणा तो हो गई, पर इसका औपचारिक आदेश अभी तक जारी नहीं हुआ है।
📘 शिक्षा व्यवस्था में बदलाव:
- राज्य में NEP के तहत 5+3+3+4 मॉडल को फेज-वाइज लागू किया जाएगा।
- 2025-26 सत्र से पहली कक्षा के विद्यार्थियों के लिए यह ढांचा लागू होगा।
- थ्री लैंग्वेज पॉलिसी को भी चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
- राज्य की टेक्स्ट बुक्स NCERT आधारित होंगी, लेकिन उनमें स्थानीय मराठी संदर्भ को भी जोड़ा जाएगा।
बालभारती, जो कि महाराष्ट्र स्टेट टेक्स्ट बुक ब्यूरो है, इन किताबों का प्रकाशन करेगी।
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