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Alert: एयर इंडिया हादसे के बाद संसद की चेतावनी : एविएशन सुरक्षा में बड़े सुधार की जरूरत

एयर इंडिया हादसे के बाद संसद की

Alert: नई दिल्ली। अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 12 जून को उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद क्रैश हो गई थी। इस भीषण हादसे में एक यात्री को छोड़कर सभी की मौत हो गई। घटना के बाद संसद की परिवहन, पर्यटन और संस्कृति से जुड़ी स्थायी समिति ने सिविल एविएशन सेक्टर की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाए हैं और तत्काल सुधार की मांग की है। समिति की अध्यक्षता जेडीयू सांसद संजय कुमार झा कर रहे हैं।

DGCA पर गंभीर सवाल

380वीं रिपोर्ट में समिति ने भारत के मुख्य एविएशन रेगुलेटर DGCA को सबसे बड़ी कमजोरी बताया। रिपोर्ट में कहा गया है कि DGCA में स्टाफ की भारी कमी है—1,063 स्वीकृत पदों में से सिर्फ 553 भरे हुए हैं, जबकि 45% तकनीकी कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर हैं। समिति ने चेतावनी दी कि सुधार न हुए तो भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ICAO ऑडिट में फेल हो सकता है और विदेशी उड़ानों पर पाबंदी लग सकती है।

एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स पर दबाव

रिपोर्ट में बताया गया कि दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे व्यस्त हवाई अड्डों पर ATC अधिकारियों को लंबे और थकाऊ शिफ्ट में काम करना पड़ता है। रात में कर्मचारियों की कमी से कई सेक्टर जोड़कर चलाए जाते हैं। समिति ने इसे “संस्थागत ओवरवर्क” करार दिया और ड्यूटी-टाइम लिमिटेशन की छूट खत्म करने, साथ ही Fatigue Risk Management System लागू करने की सिफारिश की।

सुरक्षा खामियां और खतरे

अप्रैल 2025 तक DGCA की सुरक्षा निगरानी में 3,747 खामियां पाई गईं, जिनमें से 37 गंभीर लेवल-1 खामियां अब भी दूर नहीं की गईं। समिति ने सख्त सिफारिश की कि गंभीर खामियों को 72 घंटे के भीतर दुरुस्त किया जाए और बार-बार नियम तोड़ने वालों पर कड़े दंड (लाइसेंस रद्द, आर्थिक जुर्माना) लगाए जाएं।

हेलिकॉप्टर हादसे और चारधाम यात्रा

2025 की चारधाम यात्रा के दौरान 4 हेलिकॉप्टर दुर्घटनाएं हुईं। 2021 से अब तक 23 हादसे हो चुके हैं। समिति ने इस सेक्टर को “भ्रमित और खतरनाक” बताया और मांग की कि सभी हेलिकॉप्टर ऑपरेशंस को एक राष्ट्रीय फ्रेमवर्क के तहत केंद्र की निगरानी में लाया जाए।

रनवे और उड़ान सुरक्षा

2024 में रनवे इनकर्शन की दर 14.12 प्रति मिलियन मूवमेंट्स रही। रिपोर्ट ने कहा कि एयरपोर्ट्स पर फॉग नेविगेशन सिस्टम और ILS जैसी टेक्नोलॉजी तुरंत लगाई जानी चाहिए।

विदेशी निर्भरता पर चिंता

भारत की एयरलाइंस हर साल करीब ₹15,000 करोड़ विदेशी MRO सुविधाओं (Maintenance, Repair and Overhaul) पर खर्च करती हैं। समिति ने इसे रणनीतिक कमजोरी बताया और घरेलू MRO हब बनाने, GST व कस्टम ड्यूटी तर्कसंगत करने और राष्ट्रीय एविएशन स्किल मिशन शुरू करने की सिफारिश की।

रिपोर्ट का संदेश

संसदीय समिति ने चेतावनी दी है कि भारत का तेजी से बढ़ता एविएशन सेक्टर उसकी रेगुलेटरी और सुरक्षा क्षमता पर भारी पड़ रहा है। अगर तुरंत सुधार नहीं हुए, तो भविष्य में और भी गंभीर हादसे हो सकते हैं।

साभार… 

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