ICMR की दो साल पुरानी चेतावनी हुई नजरअंदाज
Alert: भोपाल। दिवाली 2025 में सोशल मीडिया पर वायरल हुए देसी पटाखे “कार्बाइड गन” ने अब गंभीर खतरा बनकर सामने आया है। इस गन से अब तक प्रदेशभर में 300 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं, जिनमें से अधिकांश की आंखों की रोशनी प्रभावित हुई है। सिर्फ भोपाल में ही 162 मरीज अस्पतालों में भर्ती किए गए हैं।
दरअसल, यह वही देसी जुगाड़ है जिसे पहले बंदर भगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। दो साल पहले, ICMR-भोपाल ने इस पर चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि कैल्शियम कार्बाइड और पानी के रासायनिक प्रतिक्रिया से बनने वाली गैस ‘एसिटिलीन’ (Acetylene) न सिर्फ विस्फोट करती है, बल्कि आंखों की दृष्टि को स्थायी नुकसान भी पहुंचा सकती है।
🔬 वैज्ञानिक चेतावनी को नजरअंदाज किया गया
ICMR की रिसर्च इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थेलमोलॉजी में प्रकाशित हुई थी, जिसमें बताया गया था कि कार्बाइड गन से निकलने वाली गैस से कॉर्निया झुलस जाता है, आंख की पलकें और त्वचा तक जल जाती हैं। चेतावनी के बावजूद, इस पर समय रहते रोक नहीं लगाई गई।
अब ग्वालियर, इंदौर, विदिशा, भोपाल समेत कई जिलों में 7 से 14 वर्ष तक के बच्चे इसकी चपेट में आए हैं।
भोपाल और ग्वालियर प्रशासन ने अब इस गन की बिक्री, खरीद और स्टॉक पर प्रतिबंध लगा दिया है।
⚕️ आधे मरीजों को दिख रहा सिर्फ ‘वार्म व्हाइट गोला’
डॉक्टरों के मुताबिक, लगभग 50% मरीजों की दृष्टि जा चुकी है। उन्हें केवल आंखों के सामने वार्म व्हाइट लाइट का गोला ही दिखाई दे रहा है।
फिलहाल एमनियोटिक मेम्ब्रेन इंप्लांट और टिशू ग्राफ्टिंग की प्रक्रियाएं चल रही हैं, पर कॉर्निया ट्रांसप्लांट ही अंतिम उपाय होगा — हालांकि इतनी बड़ी संख्या में कॉर्निया मिलना मुश्किल है।
🏥 उप मुख्यमंत्री पहुंचे अस्पताल
उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल शुक्रवार सुबह हमीदिया अस्पताल पहुंचे और घायलों का हाल जाना। उन्होंने डॉक्टरों को सतत मॉनिटरिंग और बेहतर इलाज के निर्देश दिए।
अस्पताल प्रशासन ने बताया कि 37 में से 32 मरीज डिस्चार्ज, जबकि 5 का इलाज जारी है।
📉 स्वास्थ्य विभाग के पास आंकड़े तक नहीं
हैरानी की बात यह है कि इतने गंभीर मामलों के बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने अब तक कोई आधिकारिक रिपोर्ट या डेटा जारी नहीं किया है।
⚠️ ICMR रिपोर्ट: 24 घंटे में बढ़ता है असर
ICMR–NIREH के अनुसार, कार्बाइड गन में मौजूद CaC₂ पानी से प्रतिक्रिया कर C₂H₂ (Acetylene) गैस बनाती है।
यह गैस सूक्ष्म विस्फोट (micro-explosion) करती है जो आंखों की गहराई तक नुकसान पहुंचाती है।
रिसर्च में शामिल 6 मरीजों में से एक बच्चे की विजुअल एक्यूटी 6/60 तक गिर गई — यानी उसे केवल छाया दिखाई देती थी।
💥 अब तक की कार्रवाई
- भोपाल: बागसेवनिया पुलिस ने भय्यू चौहान नामक युवक को गिरफ्तार किया, जिसके पास से 42 कार्बाइड गन, 29 लाइटर और 1.5 किलो कैल्शियम जब्त हुआ।
- ग्वालियर: इंदरगंज थाना क्षेत्र में शाहिद अली को गन बेचते पकड़ा गया; उसके खिलाफ FIR दर्ज की गई।
👁️ विशेषज्ञों की राय
गांधी मेडिकल कॉलेज की नेत्र विशेषज्ञ डॉ. अदिति दुबे ने बताया —
“पटाखों से आंखों की चोट हर साल होती है, लेकिन इस बार कार्बाइड गन से आई चोटें रासायनिक और गहरी हैं। कई मामलों में यह नुकसान आजीवन रहेगा।”
ऑल इंडिया ऑप्थेलमोलॉजिकल सोसायटी ने देशभर के नेत्र रोग विशेषज्ञों से कार्बाइड गन से घायल मरीजों की रिपोर्ट मांगी है।
🔻 सस्ती लेकिन जानलेवा
100 से 200 रुपए में मिलने वाली यह देसी गन अब ‘घातक ट्रेंड’ बन चुकी है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि रासायनिक विस्फोटक उपकरणों की तरह इसे एक्सप्लोसिव डिवाइस माना जाना चाहिए और इसके निर्माण, बिक्री व उपयोग पर सख्त कानूनी कार्रवाई जरूरी है।
साभार…
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