Tuesday , 4 November 2025
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Amazing art: प्रकृति के इंजीनियर: बया पक्षी की अद्भुत कला

प्रकृति के इंजीनियर:

Amazing art:: डेस्क: हल्के पीले रंग का यह नन्हा सा पक्षी जिसे बया या बुनकर पक्षी कहा जाता है, अपनी अनूठी कारीगरी के लिए जाना जाता है। यह पक्षी घास के छोटे-छोटे तिनकों और पत्तियों को इस कुशलता से बुनता है कि उसका घोंसला एक लालटेन की तरह लटकता हुआ अद्भुत निर्माण प्रतीत होता है। इसी वजह से इसे “टेलर बर्ड” और “पक्षियों का इंजीनियर” भी कहा जाता है।

🌿 बया का बसेरा: धतुरिया गांव की कहानी

मध्यप्रदेश के आलोट तहसील के गांव धतुरिया में, हर साल बारिश के मौसम में बया पक्षियों का आगमन एक परंपरा बन चुका है। यहां के निवासी राम सिंह राठौर बताते हैं कि पिछले एक दशक से ये पक्षी उनके कुएं की पाल पर हर वर्ष घोंसले बनाते हैं। बर्ड वॉचिंग ग्रुप के संस्थापक राजेश घोटीकर के अनुसार, यहां दिखने वाला यह पक्षी सोनल बया है। यह प्रजाति भारत समेत पूरे दक्षिण-पूर्वी एशिया में पाई जाती है।

🪺 बया के घोंसले की अनोखी विशेषताएं

  • घोंसले की बनावट एक उलटी लटकी सुराही जैसी होती है।
  • नर बया घोंसला बनाता है, और यदि मादा बया को वह पसंद आता है, तभी वह उसमें अंडे देती है।
  • बारिश के मौसम में बया घोंसले इसलिए बनाते हैं क्योंकि इस समय कीड़े-मकोड़े बच्चों के भोजन के लिए आसानी से उपलब्ध होते हैं।
  • वॉटरप्रूफ घोंसले बनाने के लिए ये पक्षी विशेष प्रकार की घास, सरकंडा और मिट्टी का इस्तेमाल करते हैं।
  • घोंसले की ऊपरी परत पर ये कंटीली घास बिछाते हैं ताकि शिकारी पक्षियों से सुरक्षा बनी रहे।

📢 प्रेम और प्रयास की कहानी

नर बया जब आधा घोंसला बना लेता है, तो वह मादा को आकर्षित करने के लिए विशेष आवाजें निकालता है। यदि मादा को घोंसला पसंद नहीं आता, तो वह उसे अधूरा छोड़ देता है और दूसरा बनाना शुरू कर देता है। अगर मादा पक्षी घोंसले से संतुष्ट हो, तो वह उसमें बैठ जाती है और तब नर उसे पूरा करता है।

🐣 साझा जीवन और खतरे

  • एक पेड़ पर 50 से 100 तक घोंसले लटकते देखे जा सकते हैं।
  • कभी-कभी सिल्वर बिल जैसे पक्षी अधूरे छोड़े गए घोंसलों में अपना घर बना लेते हैं।
  • कौवे और शिकारी पक्षी इनके अंडे और बच्चों को खा जाते हैं, तब ये पक्षी दूर से बेबस होकर चीखते रह जाते हैं।

🐛 माँ-बाप की ममता

बया जब अपने बच्चों के लिए कीट-पतंगे लाते हैं और यदि बच्चों का पेट भरा हो, तो वे खाना नहीं खाते। तब यह पक्षी वह कीट अपनी चोंच में तब तक फंसाकर रखते हैं, जब तक बच्चों का भोजन हजम नहीं हो जाता।

साभार… 

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