आंध्र प्रदेश के श्री कूर्मनाथ स्वामी मंदिर की अद्भुत आस्था
Amazing faith: आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में स्थित श्री कूर्मनाथ स्वामी मंदिर हिंदू धर्म की उन दुर्लभ धार्मिक धरोहरों में से एक है, जहां भगवान विष्णु को कूर्म (कछुआ) अवतार में पूजा जाता है। समुद्र से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर देश का पहला ऐसा तीर्थ है, जहां भगवान विष्णु के इस अनोखे अवतार के दर्शन करने दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं।
कच्छप अवतार में भगवान विष्णु के दर्शन
कूर्मावतार भगवान विष्णु का दूसरा अवतार माना जाता है। माना जाता है कि समंदर मंथन के समय मंदार पर्वत को स्थिर रखने के लिए भगवान विष्णु ने विशाल कछुए का रूप धारण किया था।
मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमाओं के साथ एक विशाल कछुए की प्रतिमा स्थापित है, जिसकी प्रतिदिन पूजा-अर्चना की जाती है।
भक्तों की मान्यता—दर्शन से पूरे होते हैं कठिन कार्य
स्थानीय श्रद्धालु बताते हैं कि कूर्मनाथ स्वामी के दर्शन से जीवन की बड़ी से बड़ी बाधाएं दूर होती हैं। हिंदू और फेंगशुई—दोनों मान्यताओं में कछुआ सुख, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है।
रहस्यमयी सुरंग—काशी और गया से जुड़ाव
मंदिर परिसर में एक प्राचीन सुरंग है, जिसके बारे में मान्यता है कि यह काशी और गया से जुड़ती है। इसी कारण पितरों के तर्पण और मोक्ष की कामना से यहां आने वालों की संख्या काफी अधिक रहती है।
जो लोग गया या काशी नहीं जा पाते, वे यहां पिंडदान कर पितृ उद्धार की कामना करते हैं।
धार्मिक महात्म्य—संतों की तपस्थली
कहा जाता है कि इस पवित्र भूमि पर शंकराचार्य, चैतन्य महाप्रभु, रामानुजाचार्य जैसे महान संतों ने भी दर्शन किए और साधना की।
मंदिर की बनावट और कछुओं का संरक्षण
- मंदिर में 201 स्तंभ हैं, जिन पर अलग-अलग भाषाओं में शिलालेख उकेरे गए हैं।
- दीवारों पर मुगल कला और अजंता–एलोरा जैसी कलात्मक झलक भी दिखती है।
- मंदिर परिसर में बने विशेष बाड़े में 100 से अधिक प्रजातियों के कछुए संरक्षित किए जाते हैं।
दूर-दूर से पर्यटक और भक्त इन दुर्लभ कछुओं को देखने पहुंचते हैं।
साभार..
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