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Appointment: मध्य प्रदेश में भाजपा संगठन चुनाव: जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में देरी

मध्य प्रदेश में भाजपा संगठन चुनाव:

Appointment: भोपाल। भाजपा संगठन चुनाव की गाइडलाइन के मुताबिक, मध्य प्रदेश में 15 जनवरी तक प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होना आवश्यक है। हालांकि, जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा में हो रही देरी के कारण यह प्रक्रिया बाधित हो रही है। पार्टी के भीतर मंत्री, सांसद, और विधायकों के बीच समन्वय की कमी के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है।

जिलाध्यक्षों के नामों पर सहमति का अभाव

सूत्रों के अनुसार, 2 जनवरी को रायशुमारी में 40 से अधिक जिलों के लिए सहमति बन गई थी, लेकिन बाद में कुछ नामों पर विवाद बढ़ गया। महत्वपूर्ण जिलों जैसे भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, सागर, और छिंदवाड़ा में भी अब तक सहमति नहीं बन पाई है। इस बीच, छत्तीसगढ़ में भाजपा ने जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में सफलता हासिल कर ली है, जबकि मध्य प्रदेश में मामला दिल्ली तक पहुंच गया है। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व से इस संबंध में चर्चा कर रहे हैं।

महिला नेत्रियों को मिल सकती है प्राथमिकता

पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस बार महिला नेत्रियों को बड़ी संख्या में जिलाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। जिन जिलाध्यक्षों ने चार साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है, उन्हें दोबारा मौका नहीं मिलेगा। नए और योग्य चेहरों को प्राथमिकता दी जा रही है।

घोषणा में देरी के कारण कार्यकर्ताओं में नाराज़गी

प्रदेश के हजारों कार्यकर्ता कई दिनों से भोपाल में डेरा डाले हुए हैं। सूची जारी न होने के कारण वे नाराज हैं। अगर पसंद के नेताओं को जिला अध्यक्ष नहीं बनाया गया, तो कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध की संभावना भी जताई जा रही है।

ग्वालियर-चंबल में बड़ा संघर्ष

ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, और अन्य नेताओं के बीच खींचतान जारी है। इसी प्रकार, इंदौर, रीवा, और अन्य जिलों में भी दावेदारों को लेकर विवाद बना हुआ है।

क्या होगा आगे?

सूत्रों का मानना है कि भाजपा एक बार में सभी जिलों के नामों की घोषणा कर सकती है या विवादित जिलों को होल्ड पर रखते हुए 50-60 प्रतिशत जिलों के नाम पहले घोषित किए जाएंगे। इससे प्रदेश अध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ हो सकेगी। भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं को अब जिलाध्यक्षों की सूची के जारी होने का इंतजार है, जिससे संगठन के भीतर की स्थिति स्पष्ट हो सके और प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की राह प्रशस्त हो।

source internet…  साभार….     

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