Astronaut: नई दिल्ली/ह्यूस्टन/स्पेस स्टेशन: भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला आज 26 जून को शाम 4:30 बजे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पहुंचने वाले हैं। इससे पहले उन्होंने स्पेसक्राफ्ट से लाइव संदेश में अपने पहले अंतरिक्ष अनुभव साझा किए। उन्होंने भारतीय संस्कृति, विज्ञान, भावना और विनम्रता का अद्भुत समन्वय अपने शब्दों में प्रस्तुत किया।
🚀 “यह कोई व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, यह आप सभी की उपलब्धि है”
शुभांशु ने कहा,
“नमस्ते फ्रॉम स्पेस! जब मैं लॉन्चपैड पर बैठा था, तब बस यही चाहता था कि अब चल पड़ें। फिर जब लॉन्च हुआ, तो ऐसा लगा जैसे आपको सीट में पीछे धकेला जा रहा हो… फिर अचानक सब शांत हो गया। वैक्यूम की उस शांति में तैरना एक अलग ही अनुभव है।”
उन्होंने कहा कि वह खुद को एक बच्चे की तरह महसूस कर रहे हैं, जो नए माहौल में हर चीज़ को सीख रहा है—चलना, खाना, खुद को नियंत्रित करना।
🦢 भारतीय संस्कृति का प्रतीक ‘हंस’ भी साथ
लाइव बातचीत के दौरान शुभांशु ने अपने हाथ में सॉफ्ट टॉय ‘हंस’ को दिखाते हुए कहा:
“भारतीय संस्कृति में हंस बुद्धिमत्ता का प्रतीक है। यह सिर्फ एक प्यारा खिलौना नहीं, बल्कि हमारे सांस्कृतिक मूल्यों की स्मृति है। पोलैंड और हंगरी में भी इसका प्रतीकात्मक महत्व है।”
😌 लॉन्च के बाद महसूस हुई थकान, फिर अच्छी नींद
शुभांशु ने खुलासा किया कि लॉन्च के दौरान उन्हें बहुत अच्छा महसूस नहीं हुआ था।
“लेकिन कल से मुझे बताया गया है कि मैं बहुत सोया हूं, जो एक अच्छा संकेत है। यह दिखाता है कि मेरा शरीर अंतरिक्ष के माहौल में ढल रहा है।”
💬 गलतियां करना ठीक है… सीखने की प्रक्रिया चल रही है
“मैं गलतियां कर रहा हूं और सीख रहा हूं। लेकिन जब आप अपने साथी को गलती करते हुए देखते हैं, तो आपको थोड़ी राहत मिलती है कि आप अकेले नहीं हैं!”
उन्होंने हंसते हुए कहा, “यहां ऊपर बहुत मजेदार समय बीत रहा है।”
🌐 एक ऐतिहासिक मिशन: एक्सियम-4 के चारों अंतरिक्ष यात्री
शुभांशु शुक्ला समेत चारों अंतरिक्ष यात्री एक्सियम मिशन-4 (Ax-4) के तहत मंगलवार, 25 जून को रवाना हुए थे।
- यह मिशन पहले छह बार तकनीकी दिक्कतों के चलते टल चुका था।
- आखिरकार कल सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ और आज शाम वे अंतरिक्ष स्टेशन पर डॉक कर जाएंगे।
🇮🇳 भारत के लिए गौरव का क्षण
भारत के लिए यह मिशन गौरव और आत्मविश्वास का प्रतीक है।
- शुभांशु शुक्ला जैसे युवा अंतरिक्ष यात्री नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा हैं, जो विज्ञान, संस्कृति और मानवीय मूल्यों को एक साथ लेकर चल रहे हैं।
🎙️ शुभांशु का संपूर्ण संदेश एक नजर में
- “नमस्ते फ्रॉम स्पेस!”
- “मैं एक बच्चे की तरह यहां सब कुछ सीख रहा हूं।”
- “हंस सिर्फ खिलौना नहीं, भारतीय संस्कृति की झलक है।”
- “यह मेरी नहीं, हम सबकी उपलब्धि है।”
- “यहां का हर अनुभव अनोखा है, और मैं इसका आनंद ले रहा हूं।”
- साभार…
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