Auspicious time: भोपाल। भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि पर इस बार 27 अगस्त, बुधवार को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी। इस दिन चित्रा नक्षत्र और बुधवार का संयोग बन रहा है, जिसे विशेष शुभ माना गया है। गणेश पुराण के अनुसार ऐसे ही योग में माता पार्वती ने भगवान गणेश की मूर्ति बनाई थी, जिसमें भगवान शिव ने प्राण प्रतिष्ठा की थी।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश के सिद्धि विनायक रूप की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस रूप की आराधना से जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
सिद्धि विनायक रूप
धर्मग्रंथों के अनुसार सिद्धि विनायक रूप की मूर्ति लाल रंग की होती है। भगवान बैठे हुए रूप में, सिर पर मुकुट और गले में हार से सुसज्जित रहते हैं। दायां दांत टूटा और बायां सही होता है। एक हाथ में आशीर्वाद, दूसरे में मोदक व रुद्राक्ष की माला, तीसरे में अंकुश और चौथे में पाश होता है। दायां पैर मुड़ा हुआ और बायां नीचे की ओर होता है।
शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार गणपति स्थापना और पूजा के लिए इस दिन दो शुभ मुहूर्त रहेंगे। भक्तगण इन्हीं कालखंडों में गणेश प्रतिमा की स्थापना कर सकते हैं।
गणेश जन्म की कथाएँ
धार्मिक ग्रंथों में भगवान गणेश के जन्म को लेकर अलग-अलग वर्णन मिलता है—
- शिव पुराण : पार्वती ने शरीर के मैल से गणेश बनाए, शिव ने गुस्से में सिर काटा और बाद में हाथी का सिर लगाया।
- लिंग पुराण : शिव ने धर्म की रक्षा हेतु गणेश को विघ्नेश्वर रूप में प्रकट किया।
- वराह पुराण : रूद्र के तेज से गणेश प्रकट हुए, श्राप से गजमुख बने और विनायक कहलाए।
- स्कंद पुराण : पार्वती ने गजमुखी बालक बनाया, शिव ने प्राण डाले और उसे विघ्नहर्ता का वरदान दिया।
देशभर में उत्सव की तैयारियाँ
गणेश चतुर्थी पर देशभर के मंदिरों और घरों में गणपति की स्थापना की जाएगी। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और दक्षिण भारत में इस पर्व को बड़े धूमधाम से मनाने की परंपरा है।
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