कुछ अटैच तो कुछ बीमार हैं नपा के उपयंत्री

Betul news: बैतूल। लगभग 103 वर्ष पूर्व सन 1882 में जिला मुख्यालय पर नगर पालिका का गठन हुआ था। उस समय शहर की आबादी कुछ सैकड़ा में थी लेकिन 103 वर्ष बाद अब शहर काफी फैल गया है और लगभग डेढ़ लाख की आबादी नगर पालिका के भरोसे है। वर्तमान समय में शहर में निर्वाचित नगर पालिका है। 33 वार्डों में समायी हुई इस नगर पालिका में अधिकांश समय भारतीय जनता पार्टी समर्थित नेताओं का कब्जा रहा है। और अभी भी भाजपा नेत्री पार्वती बाई बारस्कर नगर पालिका अध्यक्ष है।
शहर बढ़ रहा है लेकिन सुविधा नहीं
2011 में अंतिम जनगणना हुई थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार उस समय बैतूल नगर पालिका क्षेत्र की कुल आबादी 1 लाख 3 हजार बताई गई थी और उस समय शहर लगभग 15.25 वर्ग किमी. में बसा हुआ था लेकिन 14 वर्ष बाद 2025 में शहर की आबादी डेढ़ लाख से अधिक होना बताया जा रहा है। वहीं लगभग 16.50 वर्ग किमी. में शहर फैल गया है। इसी अनुपात में वाहनों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। इतना होने के बाद भी नगर पालिका में तकनीकी अमले का हमेशा ही टोटा बना रहता है।
स्थायी इंजीनियर का हुआ तबादला
शहर के 33 वार्डों के लिए नगरपालिका ने अलग-अलग इंजीनियरों को कार्य विभाजन के अंतर्गत चार से पांच वार्डों की जिम्मेदारी प्रति इंजीनियर दी थी लेकिन इसमें भी धीरे-धीरे कमी होती जा रही है। वर्तमान समय में स्थायी इंजीनियर के रूप में पदस्थ रहे ब्रजेश खानोरकर का भी आज होशंगाबाद जिले के सोहागपुर में ट्रांसफर हो गया है। अब नगर पालिका के पास सहायक यंत्री के रूप में नीरज धुर्वे ही विकास कार्यों की देखरेख के लिए स्थायी इंजीनियर के रूप में काम लायक बचे हैं क्योंकि एक अन्य स्थायी इंजीनियर संजय सरेठा गंभीर बीमारी के चलते सक्रिय कार्य करने लायक नहीं रहे हैं। वहीं एक अन्य स्थायी इंजीनियर जतीन पाल इलेक्ट्रिक शाखा के प्रभारी हैं। मजबूरन नगर पालिका को कुछ समय पहले सेवानिवृत्त हुए इंजीनियर धीरेंद्र राठौर को शासन से अनुमति लेकर संविदा पर रखना पड़ा है और चिचोली नगर परिषद में पदस्थ नागेंद्र वागद्रे को दो दिन के लिए कार्यों की समीक्षा और मानीटरिंग के लिए बैतूल नगर पालिका बुलाया गया है। नागेंद्र वागद्रे ने लंबे समय तक बैतूल नगर पालिका में सफलता पूर्वक काम किया है।
नपा के विकास होंगे प्रभावित
तकनीकी अधिकारियों के अभाव मेें नगर पालिका परिषद द्वारा नगर में कराए जा रहे कार्य समय पर पूर्ण नहीं हो सकेंगे। इसके अलावा नए कार्य भी प्रारंभ नहीं हो सकेंगे। जानकारों का कहना है कि कार्य स्वीकृत होने से लेकर मूर्तरूप लेने तक तकनीकी अधिकारियों की आवश्यकता होती है। जानकारों का कहना है कि बैतूल नगर पालिका से तकनीकी अधिकारियों का स्थानांतरण तो करवा दिया जाता है लेकिन यहां पर नई पदस्थापना नहीं करवाई जाती है। यही वजह है कि नगर पालिका हमेशा से ही तकनीकी अधिकारियों के अभाव से जूझती रहती है।
इनका कहना…
फिलहाल व्यवस्था बनाने के लिए धीरेंद्र राठौर और नागेंद्र वागद्रे की सेवाएं बैतूल नगर पालिका में ली जा रही हैं और स्थायी रूप से नए उपयंत्रियों की डिमांड की जा रही है।
सतीष मटसेनिया, सीएमओ, नपा, बैतूल
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