राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार
सारनी। देश की आजादी के लिए संघर्ष करने वाले, मजदूर हितों के अडिग सेनानी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. कृष्णा मोदी अब हमारे बीच नहीं रहे। शुक्रवार को 96 वर्ष की आयु में हृदयाघात से उनका निधन हो गया। उनके निधन की खबर से कोल नगरी सारनी, पाथाखेड़ा समेत डब्ल्यूसीएल और कोल इंडिया में शोक की लहर दौड़ गई। आज उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।
संघर्ष से भरा जीवन, निस्वार्थ सेवा का उदाहरण

डॉ. कृष्णा मोदी का जीवन अपने आप में संघर्ष, सेवा और समर्पण की मिसाल था। वे कोल इंडिया लिमिटेड की वेतन निर्धारण समिति जेबीसीसीआई में पाथाखेड़ा क्षेत्र से पहले प्रतिनिधि बने थे। एटक यूनियन ने उनके अथक योगदान को मान्यता देते हुए उन्हें कोल फेडरेशन का राष्ट्रीय प्रतिष्ठित अध्यक्ष जैसे विशेष पद से सम्मानित किया था।
देश और समाज के लिए बिना किसी स्वार्थ के काम करना उनकी पहचान थी। शहर के उजड़ने की चिंता हो या नए उद्योगों की स्थापना की मांग—डॉ. मोदी हमेशा आंदोलन के अगुवा रहे। उन्होंने भूख हड़ताल, धरना और प्रदर्शन में कभी अपनी उम्र को बाधा नहीं बनने दिया।
12 साल की उम्र में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ाव
5 जुलाई 1930 को बालाघाट जिले के वारासिवनी में जन्मे डॉ. मोदी ने मात्र 12 वर्ष की उम्र में 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था। कांग्रेस के लिए चोगा लेकर प्रचार करना, नेताओं की सभाएं आयोजित करना उनका पहला संघर्ष था। बाद में वे लेफ्ट सोशलिस्ट ग्रुप से जुड़ गए, जिसका बाद में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में विलय हुआ।
मजदूरों और किसानों की आवाज बने
करीब 30 वर्षों तक एटक के प्रदेश अध्यक्ष, 17 वर्षों तक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, और 50 वर्षों से भी अधिक समय तक कोल फेडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जैसे पदों पर रहते हुए उन्होंने मजदूरों और किसानों के अधिकारों की आवाज बुलंद की। वर्ष 1986 में वे पार्टी प्रतिनिधि के तौर पर सोवियत संघ (वर्तमान रूस व यूक्रेन) की यात्रा पर भी गए थे। वे भाकपा की राष्ट्रीय परिषद के दो दशकों तक सदस्य रहे।
जीवन का अंतिम पड़ाव भी संघर्षमय
15 अगस्त 2024 को भोपाल में कांग्रेस प्रदेश कार्यालय में ध्वजारोहण के अवसर पर उन्होंने भावुक होते हुए कहा था”जिस पार्टी के लिए कभी प्रचार किया, आज उसी के कार्यालय में झंडा फहरा रहा हूं, यह मेरे जीवन का पूर्ण चक्र है।”डॉ. मोदी का जीवन न केवल राजनीतिक प्रतिबद्धता का प्रतीक था, बल्कि नैतिक मूल्यों, जनसेवा और देशभक्ति की अमिट छाप भी छोड़ गया है।
पाथाखेड़ा के स्थानीय मोक्षधाम में उनका राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किया गया ।पुलिस और प्रशासन ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को गॉड ऑफ ऑनर दिया ।इस मौके पर अपर कलेक्टर, शाहपुर एसडीपीओ, सारनी टी आई समेत राजनीतिक दलों के नेता, कोल इंडिया के अधिकारी,गणमान्य नागरिक सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे जिन्होंने श्रद्धांजलि अर्पित की।
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