अधिकारियों-कर्मचारियों को चिल्लर गिनने में लगा समय
Betul News – बैतूल – लोकसभा चुनाव लडऩे के लिए नामांकन जमा करने के लिए पहुंचे सुभाष बारस्कर 12500 रुपए लेकर पहुंचे। इसमें से 9200 रुपए के एक, दो, पांच और 10 रुपए के सिक्के थे। 3300 रुपए के नोट थे। इस चिल्लर की राशि को गिनने के लिए अधिकारियों-कर्मचारियों को काफी समय लगा। सुभाष बारस्कर ने कहा कि यह राशि लोगों से सहयोग के रूप में ली थी। एक-एक रुपए जमा किए वह नोट नहीं है वोट बैंक है। उन्होंने कहा कि इसके पहले मैंने घोड़ाडोंगरी विधानसभा से चुनाव लड़ा है।
हैरान हो गए थे अधिकारी-कर्मचारी | Betul News
चुनाव के दौरान अजब गजब नजारे देखने को मिलते हैं, ऐसा ही एक नजर गुरुवार को मध्य प्रदेश के बैतूल में देखने को मिला जहां एक प्रत्याशी नामांकन दाखिल करने के लिए जमानत राशि के रूप में सिक्के लेकर पहुंच गया ।12500 की जमानत राशि जमा करने के लिए प्रत्याशी 9200 के सिक्के चिल्लर पॉलीथिन में लेकर पहुंचा था। बाकी 3300 नोट के रूप में जमा किए सिक्के देखकर निर्वाचन के कर्मचारी भी हैरान हो गए और गिनने में भी समय लगा।
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किसान स्वतंत्र पार्टी से लड़ रहे चुनाव
सुभाष बारस्कर बैतूल संसदीय सीट से किसान स्वतंत्र पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने गुरुवार को नामांकन जमा करने की आखिरी तारीख में अपना नामांकन जमा किया। जब सुभाष निर्वाचन कार्यालय में नामांकन दाखिल करने पहुंचे तो उन्हें देखकर सब हैरान रह गए, क्योंकि सुभाष जमानत राशि जमा करने के लिए सिक्के लेकर गए थे। सुभाष का कहना है कि वे मजदूरी का काम करते हैं और घर में थोड़ी सी खेती है उसका भी काम करते हैं । गरीब परिस्थिति के हैं, लेकिन आदिवासी क्षेत्र की समस्याओं को देखकर चुनाव लड़ रहे हैं । सुभाष का मानना है कि सिस्टम को सुधारने के लिए सिस्टम में जाना पड़ेगा और चुनाव जीतकर ही सिस्टम में पहुंच सकते हैं । पर समस्या यह है कि सुभाष के पास नामांकन जमा करने के लिए जमानत राशि भी नहीं थी। उन्होंने लोगों से सहयोग लेकर जमानत राशि का इंतजाम किया ।
9200 रुपए के थे सिक्के | Betul News
सुभाष ने बताया कि जमानत राशि के 12500 रुपए लेकर आया था, जिसमें 9200 के सिक्के थे ।सिक्के में एक, दो, पांच ,दस और बीस के सिक्के थे इसके साथ ही 3300 नोट में थे । यह राशि लोगों से सहयोग के रूप में ली थी एक-एक रुपए जमा किए वह नोट नहीं है वोट बैंक है। सुभाष ने बताया कि उन्होंने घोड़ाडोंगरी विधानसभा से चुनाव लड़ा है और मैं अपनी बाइक से ही प्रचार करता हूं । किसान का बेटा हूं हमारे आदिवासी क्षेत्र में बहुत सारी समस्याएं हैं बिजली की समस्या है इसी को लेकर चुनाव लड़ रहा हूं। पंचायत का विधानसभा का और अब लोकसभा का चुनाव लड़ रहा हूं।
जनसहयोग से लड़ रहे चुनाव
देश का यह लोकतंत्र है जहां चुनाव में अमीर आदमी लड़ सकता है तो वही गरीब आदमी भी चुनाव लड़ सकता है किसी के पास करोड़ों की संपत्ति होती है तो कोई जन सहयोग से चुनाव लड़ता है। बारस्कर सुभाष भी ऐसे व्यक्ति है जो जन सहयोग से चुनाव लड़ रहे है । अब देखना है कि आगे क्या होता है वे मैदान में रहेंगे या नहीं ।
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