जिला यातायात समिति के मापदण्डों और अनुमति का नहीं रखा ध्यान

Betulwani Exposed: बैतूल। शासन के स्पष्ट नियम है कि कोई भी सडक़ हो वहां गति अवरोधक (स्पीड ब्रेकर) बिना यातायात समिति की अनुमति और मापदण्डों के नहीं बनाए जा सकते हैं लेकिन नगर पालिका परिषद बैतूल में कुछ अति उत्साहित अधिकारी बिना सीएमओ की जानकारी के शहर के विभिन्न स्थानों पर स्पीड ब्रेकर बनवा रहे हैं। वहीं टैगोर वार्ड में तो अति हो गई जब नगर पालिका परिषद की जानकारी के बगैर वहां के भाजपाई वार्ड पार्षद ने अपनी मनमानी करते हुए 6 स्थानों पर प्लास्टिक के ब्रेकर लगवा दिए। जिसकी नपा को जानकारी बैतूलवाणी में खबर छपने के बाद हुई।
कलेक्टर-एसपी की जानकारी बिना बन रहे ब्रेकर
जिला यातायात समिति में कलेक्टर, एसपी, पीडब्ल्यूडी कार्यपालन यंत्री, नगर पालिका सीएमओ, रक्षित निरीक्षक पुलिस, यातायात पुलिस के अधिकारी शामिल है। नियम है कि इस समिति में प्रस्ताव स्वीकृत होने के बाद ही किसी स्थान पर स्पीड ब्रेकर बनाए जा सकते हैं और उसके लिए मापदण्डों का पालन करना होता है। नियमानुसार 2 इंच से ऊंचा ब्रेकर किसी भी कीमत पर नहीं बनाया जा सकता है। लेकिन कुछ स्कूलों के प्राचार्यों के कहने पर ही ब्रेकर बन गए हैं। होना यह था कि प्राचार्यों के आवेदनों को नगर पालिका को यातायात समिति में भेजना था जो नहीं भेजा गया और मनमर्जी से घटिया स्तर के ब्रेकर बना दिए।
ब्रेकर पर नहीं लगाए रेडियम पेंट

शहर के मुख्य मार्गों पर तीन जगह आनन-फानन में घटिया स्तर के स्पीड ब्रेकर तो नगर पालिका ने बना दिए लेकिन इतना भी ध्यान नहीं रखा गया है कि जहां ब्रेकर बनाए हैं वहां पर रेडियम पेंट के पट्टे लगाए जाते और ब्रेकर के कुछ दूर पहले सडक़ के दोनों ओर संकेतक बोर्ड भी लगाना था। जो नहीं लगाए गए हैं। कल रात्रि 9 बजे एक चार पहिया वाहन इस स्पीड ब्रेकर से धीरे होकर निकल रहा था तभी पीछे से सिल्लौट निवासी मोटर साइकिल चालक कार में घुस गया। यदि वहां बोर्ड और रेडियम पेंट के पट्टे होते तो यह दुर्घटना नहीं होती।
लोगों में हो रहा आक्रोश व्याप्त

जिला मुख्यालय पर ही पीएमश्री जेएच कालेज के सामने, गंज कन्या शाला एवं केंद्रीय विद्यालय के सामने बनाए गए बेतरतीब तरीके से ब्रेकर दुर्घटनाओं का सबब बन रहे हैं। इन ब्रेकरों से उछलकर लोग वाहन सहित गिरकर चोटिल हो रहे हैं। सबसे मजेदार बात तो यह है कि ब्रेकर बनाने के लिए जिला यातायात समिति से अनुमति तक नहीं ली गई है और 2 इंच की जगह 6 इंच के ब्रेकर बना दिए गए हैं। बे्रकरों की वजह से लोगों में आक्रोश व्याप्त हो रहा है। इन ब्रेकरों पर आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है लेकिन कोई भी देखने वाला नहीं है। इन ब्रेकरों से अब तक आधा दर्जन से अधिक लोग गिरकर जहां घायल हो चुके हैं वहीं महिलाएं ब्रेकरों पर से स्कूटी भी क्रास नहीं कर पा रही है। अभी तक यह ब्रेकर सडक़ में आधे बनाए गए थे लेकिन अब इन्हें इस छोर से उस छोर तक पूरे बना दिए गए हैं जिससे और अधिक दुर्घटनाएं हो रही है।
बिना अनुमति के बना दिए ब्रेकर
शहर में किसी सडक़ पर कहां-कहां ब्रेकर बनाना है? इसको लेकर जिला यातायात समिति की बैठक में तय होता है। जिला यातायात समिति में कलेक्टर, एसपी, पीडब्ल्यूडी अधिकारी, नगर पालिका के सीएमओ, आरआई, यातायात पुलिस प्रभारी रहते हैं। इनकी बैठक होने के बाद विधिवत अनुमति के बाद ही कहीं भी ब्रेकर लगा सकते हैं लेकिन शहर में कई जगह बिना अनुमति के धड़ले से ब्रेकर बनाए लगाए जा रहे हैं। सवाल यह उठता है कि अगर यातायात समिति की अनुमति के बिना ब्रेकर लगाए गए हैं तो समिति के अफसर क्या कर रहे हैं? तुरंत इस मामले में अंतत: एक्शन क्यों नहीं लिया जा रहा है?
अफसरों की ब्रेकर हटाने की मांग
चूंकि जिला यातायात समिति में बड़े अफसर के रूप में कलेक्टर और एसपी भी शामिल होते हैं इसलिए शहर की जनता दोनों अफसरों से इस मामले में हस्तक्षेप कर घटिया तरीके से बिना मापदण्ड के बनाए गए ब्रेकरों को हटाने की मांग कर रही है। अगर ब्रेकर ही बनाना है तो विधिवत अनुमति लेकर डामर सडक़ पर डामर के करीब 2-2 इंच के बनाए जा सकते हैं लेकिन इस तरह से 6-6 इंच के सीमेंट के ब्रेकर बनाने का क्या औचित्य है?
यहां बनाए हैं घटिया ब्रेकर

शहर में तीन जगह बेहद घटिया तरीके से 6-6 ऊंचे सीमेंट कांक्रीट के ब्रेकर कन्या शाला गंज, पीएमश्री जयवंती हाक्सर महाविद्यालय और केंद्रीय विद्यालय के सामने बनाए गए हैं। मजेदार बात तो यह है कि इन ब्रेकरों को बनाने के लिए कोई फाइल नहीं चली है और ना ही किसी जिम्मेदार अधिकारी ने इसकी अनुमति दी है। नगर पालिका ने बिना नाम जोक के घटिया तरीके से अपनी मनमर्जी से सीमेंट कांक्रीट के ब्रेकर बना दिए हैं जिनसे लोग दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। इनमें महिलाओं को भी बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
वार्डों की सडक़ में भी लगा दिए ब्रेकर
टैगोर वार्ड में भी कई जगह पर प्लास्टिक के ब्रेकर बिना अनुमति के लगा दिए हैं। वार्डों में ब्रेकर किसने लगवाए इसकी भी जानकारी नगर पालिका को नहीं है। बेहतर होता है कि नियमानुसार अनुमति लेकर ब्रेकर लगाए जाते तो इससे जहां यातायात कंट्रोल होता वहीं लोग चोटिल भी नहीं होते। इस तरह से मनमर्जी से कहीं प्लास्टिक के तो कहीं सीमेंट कांक्रीट के ब्रेकर लगाने से लोग दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं।
इनका कहना…
जेएच कालेज की प्राचार्य, गंज कन्या स्कूल के प्राचार्य एवं केवी विद्यालय द्वारा आवेदन दिए जाने के बाद वहां स्पीड ब्रेकर बनवाए हैं। आपने बताया कि नियम विपरीत बनाए गए हैं, पता लगाकर इसको सुधरवाने के निर्देश देंगे।
सतीष मटसेनिया, सीएमओ, नपा, बैतूल
                                                                                                                                
				            
				            
				            
				            
                            
                                        
                                        
				            
				            
				            
				            
			        
			        
			        
			        
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