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Campaign: भाजपा सरकार में भी उपेक्षित हैं आदिवासी किसान

भाजपा सरकार में भी उपेक्षित हैं

क्षेत्र में आदिवासी जनप्रतिनिधियों की है भरमार

जन जागरण अभियान भाग-4

Campaign: बैतूल। पिछले कुछ दिनों से सांध्य दैनिक बैतूलवाणी ने बैतूल जिला मुख्यालय से मात्र 12 किमी. दूर हनुमान डोल के समीप खमालपुर ग्राम के अनेक आदिवासी किसानों को विद्युतीकरण के अभाव में खेती किसानी में अनेक समस्याओं का सामना करने से संबंधित समाचार प्रकाशित किए थे। आज इसी कड़ी में हम बताना चाह रहे हैं कि इस क्षेत्र में सबसे बड़े से लेकर सबसे छोटे जनप्रतिनिधि के पद इसी आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है। आजादी के बाद से तो घोड़ाडोंगरी विधानसभा सीट इसी अनुसचित जनजाति (आदिवासी वर्ग) के लिए रिजर्व है। समाज से जुड़े सभी व्यक्ति पदों पर आसीन होने के बावजूद खमालपुर क्षेत्र के सैकड़ों आदिवासी किसानों की विद्युतीकरण की समस्या अभी तक हल नहीं कर पाए हैं जो कि आश्चर्य का विषय है। आजादी के बाद वर्षों तक देश प्रदेश में कांग्रेस सरकार रही और इस क्षेत्र के अधिकांश जनप्रतिनिधि भी कांग्रेसी रहे लेकिन उस समय भी किसी कांग्रेसी जनप्रतिनिधि ने इस समस्या के हल के लिए कोई गम्भीर प्रयास नहीं किया। वहीं स्थिति आज भी है।


2009 से क्षेत्र के सांसद हैं आदिवासी



जिस क्षेत्र में आजादी के बाद भी आज तक विद्युतीकरण नहीं हुआ है उस क्षेत्र से संबंधित हर जनप्रतिनिधि इसी आदिवासी समाज से जुड़े हुए हैं। 2009 में बैतूल लोकसभा सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हुई तब से आदिवासी समाज से जुड़ी ज्योति धुर्वे दो बार सांसद निर्वाचित हुई थी। इसके बाद दुर्गादास उइके भी दो बार सांसद चुने गए और वर्तमान में जनजातीय मामले केंद्रीय राज्य मंत्री के बनाए गए हैं।


1962 में बनी थी घोड़ाडोंगरी विधानसभा



खमालपुर क्षेत्र घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। जो शुरू से ही आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है। इस क्षेत्र के पहले बैतूल में डबल विधायक की सीट में क्षेत्र के मोहकम सिंह कांग्रेस की टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए थे। 1962 में घोड़ाडोंगरी सीट अलग बनाई गई। जिसमें जनसंघ के जंगू सिंह निर्वाचित हुए। 1967 में माडू सिंह (जनसंघ), 1972 में विश्राम सिंह मवासे (कांग्रेस), 1977 में जंगू सिंह (जनता पार्टी), 1980 में रामजीलाल उइके (भाजपा), 1985 में मीरा धुर्वे (कांग्रेस), 1990 में रामजीलाल उइके (भाजपा), 1993 में प्रताप सिंह उइके (कांग्रेस), 1998 में प्रताप सिंह उइके (कांग्रेस), 2003 में सज्जनसिंह उइके (भाजपा), 2008 में गीता रामजीलाल उइके (भाजपा), 2013 में सज्जनसिंह (भाजपा), 2016 उपचुनाव में मंगल सिंह (भाजपा), 2018 में ब्रम्हा भलावी (कांग्रेस) और 2023 में गंगा सज्जनसिंह उइके भाजपा की टिकट निर्वाचित होकर विधायक बनी। गंगाबाई ने विधायक बनने के डेढ़ साल की अवधि में क्षेत्र के विकास के लिए कई कार्य किए हैं और अन्य कार्यों के लिए भी सक्रिय हैं।


पंचायत क्षेत्र में भी आदिवासी हैं जनप्रतिनिधि


पंचायत क्षेत्र की बात करें तो खमालपुर से संबंधित सभी जनप्रतिनिधि भी आदिवासी वर्ग से संबंध रखते हैं। इनमें जिला पंचायत सदस्य आदिवासी नेता संगीता श्यामू परते हैं। वहीं जनपद अध्यक्ष के पद पर भी युवा आदिवासी नेता कांग्रेस के राहुल उइके काबिज हैं। क्षेत्र के जनपद सदस्य के रूप में फूलवंती धुर्वे हैं। इसी तरह से खमालपुर से संबंधित ग्राम पंचायत की सरपंच विमला सलाम हैं एवं क्षेत्र के पंच दिलीप उइके हैं जो पूर्व में घोड़ाडोंगरी जनपद के जनपद सदस्य भी रह चुके हैं। मिली जानकारी के अनुसार आज तक पंचायत के किसी भी बड़े से लेकर छोटे जनप्रतिनिधि ने इस क्षेत्र की विद्युत समस्या को लेकर कोई पहल नहीं की है। यहां कि खमालपुर गांव के भी एक वार्ड में आजादी के बाद आज तक बिजली नहीं पहुंची है। जिसको लेकर क्षेत्र के ग्रामीणों में नाराजगी व्याप्त है।

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