2029 की लड़ाई का आगाज़
Comeback: गौरीगंज (अमेठी) | 2024 के लोकसभा चुनाव में करारी हार के करीब एक साल बाद, पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेत्री स्मृति ईरानी ने सोमवार को अमेठी में दमदार वापसी की। गौरीगंज में आयोजित एक विशाल जनसभा में उन्होंने 2029 के लोकसभा चुनाव का बिगुल फूंकते हुए भावुक शब्दों में कहा —
“अमेठी से मेरा रिश्ता अब मेरी अर्थी उठने के बाद ही टूटेगा।”
यह 355 दिन बाद अमेठी की उनकी पहली यात्रा थी, जिसे भाजपा कार्यकर्ताओं और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने “दीदी का कमबैक” कहा। मंच से उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान हुए विकास कार्यों की सूची दोहराई, कार्यकर्ताओं को नाम लेकर पुकारा और जमीनी जुड़ाव फिर से जताया।
🔍 2024 की हार: क्या रही वजह?
वरिष्ठ पत्रकार पंकज सिंह के अनुसार,
“अमेठी में हार सिर्फ स्मृति ईरानी की व्यक्तिगत पराजय नहीं थी, बल्कि यह पूरे प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ बनी एंटी-इनकंबेंसी लहर का असर था। संगठन और सरकार के बीच समन्वय की कमी, और स्थानीय कार्यकर्ताओं की उदासीनता ने नुकसान पहुंचाया।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ‘बाहरी बनाम स्थानीय’ की धार भी इस बार गहरी थी। कांग्रेस प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा भले बड़े नेता न हों, लेकिन एक स्थानीय विकल्प के रूप में स्वीकार कर लिए गए।
🛠️ दीदी के 25 हजार करोड़ के काम, फिर भी हार क्यों?
2019 में राहुल गांधी को हराकर जब स्मृति ईरानी सांसद बनीं, तो उन्होंने सड़कों, पुलों, उद्योगों और शिक्षा संस्थानों में बड़े निवेश कराए। मंच पर मौजूद विधायक और पदाधिकारियों ने बताया कि 25,000 करोड़ रुपए से ज्यादा के काम अमेठी में उनके कार्यकाल में हुए।
ईरानी ने मंच से कहा,
“अमेठी मेरी जन्मभूमि नहीं, लेकिन कर्मभूमि है। आपने 11 साल पहले मुझे दीदी कहकर जो अपनापन दिया, मैं उसे कभी नहीं भूलूंगी।”
🗳️ 2029 की तैयारी: संगठन सतर्क, दीदी सक्रिय
सभा में साफ झलक रहा था कि भाजपा के कार्यकर्ता अब 2029 के लिए तैयारियों में जुटना चाहते हैं।
प्रधान संघ अध्यक्ष अरविंद शुक्ला बोले,
“2024 की हार का हिसाब हम मूल और ब्याज समेत 2029 में चुकता करेंगे।”
इस बार मंच से किशोरी लाल शर्मा या गांधी परिवार पर सीधा हमला नहीं हुआ। फोकस विकास कार्यों और जनसेवा के भावनात्मक जुड़ाव पर रहा।
❤️ पुराना अंदाज़, वही दीदी वाला जज्बा
सभा के बाद जब स्मृति ईरानी को पता चला कि जगदीशपुर में एक परिवार के तीन सदस्य गंगा में डूब गए, तो वे तुरंत उनके घर पहुंचीं। शोकसंतप्त परिवार को गले लगाकर सांत्वना दी और हरसंभव मदद का भरोसा दिया।
जब एक बच्ची अपने पिता के खोने के दुख में फफक पड़ी, तो स्मृति ने उसे अपनी बहन की तरह गले लगाया — यही वो संवेदनशील छवि है, जिसने उन्हें 2019 में अमेठी की जनता का विश्वास दिलाया था।
साभार….
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