Controversy:नई दिल्ली/वाराणसी | — अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने वाराणसी मतदाता सूची में कथित गड़बड़ी के कांग्रेस के आरोपों को “सनातन परंपरा को बदनाम करने की साजिश” बताया है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस तरह की बातें फैलती रहीं तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
कांग्रेस ने हाल ही में सोशल मीडिया पर वाराणसी नगर निगम के 2023 चुनाव की मतदाता सूची का एक अंश साझा करते हुए दावा किया था कि कश्मीरिगंज वार्ड-51 में रामकमल दास नामक व्यक्ति के 50 से अधिक “पुत्र” दर्ज हैं। पार्टी ने इसे “खुलेआम मतदाता चोरी” का मामला बताया और चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग की थी।
गुरु–शिष्य परंपरा का मामला
संतों और मठ प्रबंधकों ने स्पष्ट किया कि यह वोटर फ्रॉड नहीं बल्कि सनातन की गुरु–शिष्य परंपरा का हिस्सा है। राम जानकी मठ के प्रबंधक रामभरत शास्त्री ने बताया कि मठ का पता बी-24/19 है, जो मंदिर का परिसर है और आचार्य रामकमल दास द्वारा स्थापित है। संन्यास लेने वाले शिष्य अपने गुरु को ही पिता मानते हैं और सांसारिक जीवन छोड़ने के बाद उनके आधार, वोटर आईडी व अन्य दस्तावेजों में पिता के नाम की जगह गुरु का नाम दर्ज किया जाता है।
वरिष्ठ शिष्य अभिराम ने कहा कि यह परंपरा कानूनी रूप से मान्य है। 2016 में भारत सरकार ने साधु-संन्यासियों को यह अधिकार दिया था कि वे अपने दस्तावेजों में जैविक पिता की जगह गुरु का नाम लिख सकें। संतों ने आरोप लगाने वालों के लिए ‘बुद्धि शुद्धि पूजन’ भी किया और धार्मिक परंपरा के राजनीतिकरण से बचने की अपील की।
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