Court is strict: नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हिमालयी क्षेत्रों में लगातार हो रहे भूस्खलन और बाढ़ को गंभीर पर्यावरणीय खतरा मानते हुए गुरुवार को केंद्र सरकार और संबंधित राज्यों को नोटिस जारी किया। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि यह एक अत्यंत संवेदनशील और गंभीर मुद्दा है। अदालत ने यह आदेश अनामिका राणा की याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया।
नोटिस किन्हें जारी हुआ
- केंद्र सरकार (पर्यावरण एवं जल शक्ति मंत्रालय)
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
- नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI)
- हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर सरकारें
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
- मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि उत्तराखंड, हिमाचल और पंजाब में अभूतपूर्व भूस्खलन और बाढ़ की घटनाएं सामने आई हैं।
- अदालत ने बाढ़ में भारी संख्या में लकड़ी के लट्ठे बहने की खबरों का जिक्र करते हुए कहा कि इससे प्रथम दृष्टया लगता है कि पहाड़ियों पर अवैध पेड़ कटाई हो रही है।
- मुख्य न्यायाधीश गवई ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा – “यह एक गंभीर मुद्दा है।”
- इस पर मेहता ने आश्वासन दिया कि वे तुरंत पर्यावरण मंत्रालय और राज्यों के मुख्य सचिवों से संपर्क करेंगे।
याचिकाकर्ता की दलील
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि चंडीगढ़-मनाली मार्ग पर बनी 14 सुरंगें बरसात के दौरान भूस्खलन के चलते “मौत का जाल” बन जाती हैं। अधिवक्ता ने एक रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें करीब 300 लोगों के सुरंग में फंसे होने का जिक्र था।
साभार…
Leave a comment