प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में हुई बैठक में नियुक्ति का फैसला
Decision: यह महत्वपूर्ण राजनीतिक और संवैधानिक घटनाक्रम है। ज्ञानेश कुमार का नया मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के रूप में नियुक्त होना और इस प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिका पर विवाद चलना भारत की चुनावी प्रणाली और लोकतंत्र के संचालन से जुड़ा एक अहम मुद्दा है।
इस विषय में कुछ प्रमुख बिंदु हैं:
- ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति:
- 1988 बैच के आईएएस अधिकारी हैं।
- नए कानून के तहत नियुक्त होने वाले पहले CEC हैं।
- उनका कार्यकाल 26 जनवरी 2029 तक रहेगा।
- चयन प्रक्रिया और विवाद:
- पहले CEC की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई चयन समिति में CJI (मुख्य न्यायाधीश) को शामिल किया गया था।
- लेकिन दिसंबर 2023 में पारित नए कानून में CJI को हटाकर प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और एक केंद्रीय मंत्री को चयन समिति में रखा गया।
- इस बदलाव को लेकर विपक्ष ने आपत्ति जताई और इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताया।
- कांग्रेस और विपक्ष का रुख:
- राहुल गांधी ने चयन प्रक्रिया को लेकर असहमति (डिसेंट नोट) दर्ज कराई।
- कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए था।
- याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 19 फरवरी को सुनवाई करेगा।
- चुनाव आयोग की संरचना:
- संविधान के अनुच्छेद 324(2) के तहत, चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त हो सकते हैं, जिनकी संख्या राष्ट्रपति तय कर सकते हैं।
- 1989 में पहली बार चुनाव आयोग को एक मल्टी-मेम्बर बॉडी बनाया गया था, जिसे बाद में 1993 से स्थायी रूप से लागू कर दिया गया।
आपके विचार क्या हैं?
क्या आपको लगता है कि नए कानून के तहत नियुक्ति करना सरकार का अधिकार है, या सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए था?
source internet… साभार….
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