बंगाल में 25 हजार से अधिक शिक्षकों का गलत प्रक्रिया से हुआ चयन
Decision: नई दिल्ली(ई-न्यूज)। पश्चिम बंगाल में हुए शिक्षक भर्ती घोटाले के मामले में हाईकोर्ट ने 25 हजार 753 शिक्षकों की बर्खास्ती के आदेश दिए थे। इस आदेश के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट में गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया गलत तरीके से हुई है। शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति रद्द कर नए सिरे से चयन प्रक्रिया 3 महीने में पूरा करें।
हाईकोर्ट ने दिया था अवैध करार
पश्चिम बंगाल में स्स्ष्ट ने 2016 में 25 हजार शिक्षकों और गैर-शिक्षकों को नियुक्ति की थी। हाईकोर्ट ने इन नियुक्तियों को अवैध करार देते हुए कर्मचारियों को बर्खास्त किया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की जांच को सही माना और कहा कि पूरी प्रक्रिया में धोखाधड़ी की गई। इसमें सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है। मामले पर सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने सुनवाई की। शीर्ष कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिकाएं दायर की गई थीं।
फैसले पर बोली ममता
ममता बोलीं- व्यक्तिगत तौर पर फैसला स्वीकार नहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कुछ देर बाद ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बयान आया। ममता ने कहा- वह व्यक्तिगत रूप से सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार नहीं करती हैं, लेकिन उनकी सरकार इसे लागू करेगी और चयन प्रक्रिया को फिर से दोहराएगी। उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या विपक्षी भाजपा और सीपीएम चाहते हैं कि बंगाल की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो जाए। उन्होंने कहा कि इस देश के नागरिक के रूप में, मेरे पास हर अधिकार है और मैं जजों के प्रति सम्मान के साथ इस फैसले को स्वीकार नहीं कर सकती। मैं मानवीय दृष्टिकोण से अपनी राय व्यक्त कर रही हूं। गलत सूचना न दें या भ्रम पैदा न करें। सरकार फैसले को स्वीकार करती है। स्कूल सेवा आयोग से भर्ती प्रक्रिया को फिर से शुरू करने के लिए कहा है।
भ्रष्टाचार की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री की: भाजपा
भाजपा बोली- भ्रष्टाचार की पूरी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की राज्य भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने एक्स पर पोस्ट कर कहा – शिक्षक भर्ती में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की पूरी जिम्मेदारी राज्य की विफल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ममता बनर्जी के शासन में कैसे पश्चिम बंगाल में शिक्षित बेरोजगार युवाओं की योग्यता को पैसे के बदले बेचा गया।
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