Demise: रांची: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक संरक्षक शिबू सोरेन का 81 वर्ष की आयु में दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे और ब्रेन स्ट्रोक के बाद डेढ़ महीने से अस्पताल में भर्ती थे। आज सुबह 8:56 बजे उन्हें मृत घोषित किया गया। उनके निधन पर झारखंड सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है।
🌿 शिबू सोरेन: संघर्ष से सत्ता तक का सफर
- जन्म: 11 जनवरी 1944, नेमरा गांव, गोला प्रखंड (अब रामगढ़ जिला)
- उपनाम: दिशोम गुरु (संथाली में अर्थ – देश का गुरु)
- राजनीतिक दल: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM)
🔹 व्यक्तिगत संघर्ष और आंदोलन की शुरुआत
- मात्र 13 साल की उम्र में महाजनों ने उनके पिता की हत्या कर दी थी।
- पढ़ाई छोड़कर आदिवासियों को महाजनों के खिलाफ संगठित करना शुरू किया।
- 1970 में ‘धान कटनी आंदोलन’ से चर्चित हुए।
- एक घटना में जब उन्हें मारने के लिए महाजनों के गुंडों ने घेरा, तब उन्होंने उफनती बराकर नदी में बाइक समेत छलांग लगाई और तैरकर पार उतर गए — यहीं से लोगों ने उन्हें “दिशोम गुरु” कहना शुरू किया।
🔹 राजनीतिक करियर की मुख्य उपलब्धियाँ
- कोयला मंत्री रहे UPA-1 सरकार में, लेकिन चिरूडीह हत्याकांड में नाम आने के कारण इस्तीफा देना पड़ा।
- राज्यसभा सांसद और लोकसभा सांसद दोनों रह चुके।
- झारखंड के 3 बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन कुल मिलाकर केवल 10 महीने 10 दिन ही सरकार चला पाए:
- पहली बार: मार्च 2005 – 10 दिन
- दूसरी बार: अगस्त 2008 – 5 महीने
- तीसरी बार: दिसंबर 2009 – 5 महीने
🔹 2009 में शर्मनाक हार
- 2008 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने लेकिन विधायक नहीं थे। उपचुनाव में उन्हें तमाड़ से लड़ना पड़ा, जहां झारखंड पार्टी के राजा पीटर से वे करीब 9,000 वोटों से हार गए, और इस्तीफा देना पड़ा।
🕯️ अंतिम यात्रा
- शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर आज शाम 5–6 बजे तक रांची लाया जाएगा।
- उनके निधन से झारखंड के राजनीतिक और सामाजिक जीवन में एक युग का अंत हो गया है।
📜 विरासत
शिबू सोरेन केवल एक राजनेता नहीं, आदिवासी अस्मिता और अधिकारों की लड़ाई के प्रतीक थे। उनकी राजनीतिक विरासत को अब उनके पुत्र और झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आगे बढ़ा रहे हैं।
साभार…
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