Dismissed: नई दिल्ली— “150 साल बाद लाल किले का हक मांगना कानूनी नहीं, भावनात्मक दलील पर्याप्त नहीं,” — सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यह कहते हुए रजिया सुल्ताना बेगम की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने लाल किला वापस देने या 1857 से अब तक मुआवज़ा देने की मांग की थी।
🧕 कौन हैं रजिया सुल्ताना बेगम?
- खुद को मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर के पड़पोते मिर्जा बेदार बख्त की पत्नी बताती हैं।
- उनका विवाह 1965 में 12 वर्ष की उम्र में हुआ था।
- वर्तमान में हावड़ा (प. बंगाल) की शिवपुरी बस्ती में सामान्य जीवन जी रही हैं।
- वह कहती हैं कि उन्हें लाल किला घूमने के लिए टिकट खरीदना पड़ता है, जबकि वह मुगल वंश की बहू हैं।
⚖️ सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
- मुख्य न्यायाधीश संजय खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने याचिका को “बिलकुल निराधार और समय से परे” बताया।
- CJI ने कटाक्ष करते हुए पूछा: “लाल किले पर ही क्यों? ताजमहल, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी पर भी दावा क्यों नहीं किया?”
- कोर्ट ने याचिका वापस लेने की अनुमति तक नहीं दी।
🏛️ क्या है मामला?
- रजिया बेगम का कहना है कि सरकार ने उनके पूर्वजों की संपत्ति पर कब्जा कर लिया है।
- उन्होंने भारत सरकार से लाल किला लौटाने या मुआवजा देने की मांग की।
- उनका यह भी दावा है कि 1960 में नेहरू सरकार ने उनके पति मिर्जा बेदार बख्त को राजनीतिक पेंशन दी थी, जिससे उनके दावे को मान्यता मिलती है।
🧾 पिछले फैसले
- 20 दिसंबर 2021: दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की — 150 साल की देरी के कारण।
- 13 दिसंबर 2024: नई याचिका भी खारिज, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
🗨️ सुल्ताना बेगम की बात
“मुगल खानदान की बहू हूं लेकिन लाल किले में 50 रुपये का टिकट लेकर जाती हूं… हुमायूं के मकबरे में भी 40 रुपये देती हूं… यह तो मेरी रियासत है।”
साभार….
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