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Drone Systems: एयर डिफेंस को मजबूत करने भारत का बड़ा कदम: जल्द आएगा एडवांस काउंटर ड्रोन सिस्टम

एयर डिफेंस को मजबूत करने भारत

Drone Systems:नई दिल्ली। भारत अब अपने हवाई सुरक्षा तंत्र को और पुख्ता करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। भारतीय सेना जल्द ही नई पीढ़ी के काउंटर अनमैन्ड एरियल सिस्टम (C-UAS) की तैनाती करने जा रही है, जो खासतौर पर चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के GPS और BeiDou-आधारित ड्रोन खतरों से निपटने में सक्षम होगा।

🇮🇳 LOC और LAC पर बढ़ी सतर्कता

सेना ने यह कदम चीन द्वारा BeiDou नेविगेशन और पाकिस्तान द्वारा GPS-बेस्ड ड्रोन के इस्तेमाल को ध्यान में रखते हुए उठाया है। इन ड्रोन की पहचान, ट्रैकिंग और न्यूट्रलाइजेशन के लिए सेना को ऐसे सिस्टम की जरूरत है जो फ्रंटलाइन पर तैनात किया जा सके। इसके लिए सेना ने स्वदेशी रक्षा कंपनियों को RFI (Request for Information) जारी कर दी है।


🔍 कैसा होगा नया काउंटर ड्रोन सिस्टम?

सेना को ग्राउंड-बेस्ड मोबाइल काउंटर-यूएएस की आवश्यकता है, जो निम्न क्षमताओं से लैस हो:

डिटेक्शन क्षमता:

  • माइक्रो ड्रोन: 3 किमी
  • मिनी ड्रोन: 5 किमी
  • स्मॉल ड्रोन: 8 किमी
  • रेडार पहचान रेंज: माइक्रो ड्रोन के लिए 3 किमी, मिनी/स्मॉल ड्रोन के लिए 5 किमी

जैमिंग और न्यूट्रलाइजेशन (सॉफ्ट किल):

  • 2 किमी रेंज में ड्रोन को जाम किया जा सके
  • GPS, GLONASS, BeiDou, Galileo, और IRNSS को ब्लॉक करने की क्षमता
  • स्पूफिंग, मेटाडेटा इंजेक्शन, और फॉल्ट इंजेक्शन को सपोर्ट करे

हार्ड किल ऑप्शन:

  • सेना की मौजूदा MMG और नेगेव LMG के साथ इंटीग्रेशन

🛰️ RF और साइबर क्षमताओं से लैस सिस्टम

  • वाइडबैंड RF डिटेक्टर द्वारा 5 किमी की रेंज में दुश्मन के ड्रोन को पहचानना
  • रेडियो फ्रीक्वेंसी आधारित थ्रेट लाइब्रेरी, जिसमें 1000 से अधिक फ्रीक्वेंसी को स्टोर किया जा सके
  • दुश्मन और मित्र ड्रोन में अंतर करने की AI-बेस्ड क्षमता
  • डिस्प्ले पर दुश्मन ड्रोन को लाल और मित्र ड्रोन को नीले रंग में दर्शाने की तकनीक

⚙️ ऑपरेशनल विशेषताएं:

  • न्यूनतम वजन: 9 किलो से कम, ताकि एक सोल्जर इसे पोर्टेबल तरीके से ले जा सके
  • 5 घंटे तक नॉन-स्टॉप ऑपरेशन की क्षमता
  • ट्रांसपोर्टेबल और फील्ड-कंट्रोल यूनिट्स के लिए उपयुक्त

📢 सैन्य सूत्रों का कहना है…

“यह सिस्टम हमारी अग्रिम चौकियों पर तैनात यूनिट्स को रीयल टाइम अलर्ट, टारगेट डिटेक्शन और काउंटर एक्शन की क्षमता देगा। आने वाले वर्षों में एयर स्पेस सुरक्षा में यह क्रांतिकारी साबित होगा।”

साभार….. 

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