Drones: हिमाचल प्रदेश में अब डाक विभाग ने ड्रोन तकनीक का उपयोग करना शुरू कर दिया है, ताकि दुर्गम और बर्फीले इलाकों में चिट्ठियां जल्दी और सुरक्षित पहुंचाई जा सकें। केंद्र सरकार के निर्देश पर विभाग ने अपर शिमला में ट्रायल के रूप में ड्रोन से डाक पहुंचाना शुरू किया है।
प्रमुख बिंदु:
- ड्रोन ट्रायल:
- उप डाकघर हाटकोटी से सुबह 9 बजे से 12 बजे के बीच ड्रोन द्वारा डाक भेजी जा रही है।
- यह ड्रोन एक समय में 7 किलो तक का भार उठा सकता है और 5 से 10 मिनट में चिट्ठियां 7-8 किलोमीटर दूर स्थित शाखा डाकघरों में पहुंचा सकता है।
- सुविधाएं और समय बचत:
- पहले इस क्षेत्र में चिट्ठी पहुंचाने में पूरा दिन लगता था, लेकिन अब ड्रोन से यह प्रक्रिया कई घंटे तक कम हो गई है।
- डाटा ऑनलाइन ट्रैकिंग:
- डाक विभाग ने ड्रोन से डाक भेजने के दौरान पूरा डाटा ऑनलाइन ट्रैक किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि डाक सही समय पर और सुरक्षित पहुंच रही है।
- विशेषता और क्षमता:
- ड्रोन की 5-10 मिनट की अवधि में डाक भेजने की प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि दूर-दराज के गांवों तक डाक त्वरित पहुंचे।
- आगे की योजना:
- ट्रायल के बाद, अगर यह प्रक्रिया सफल रहती है, तो डाक विभाग केंद्र सरकार के निर्देश पर अन्य दुर्गम इलाकों में भी इस तकनीक का इस्तेमाल कर सकता है।
- इससे पहले, गुजरात और अरुणाचल में भी इसी तरह के ट्रायल हो चुके हैं।
लक्ष्य और उद्देश्य:
- प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट के रूप में इस पहल का उद्देश्य यह दिखाना है कि ड्रोन के माध्यम से डाक भेजने की प्रक्रिया सुरक्षित और प्रभावी हो सकती है।
- ड्रोन के जरिए डाक को कंट्रोल करने से समय की बचत और पर्यावरण संरक्षण भी हो सकता है, क्योंकि इससे सड़क मार्गों पर निर्भरता कम होगी।
- यह पहल डाक विभाग द्वारा एक हाइटेक कदम है, जो ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में डिजिटल और आधुनिक तकनीकी का उपयोग कर रही है।
- source internet… साभार….
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