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Economy: कमजोर हुआ रुपया, लेकिन मजबूत हो सकती है इकोनॉमी! जानें गिरावट से मिलने वाले तीन बड़े फायदे

कमजोर हुआ रुपया, लेकिन मजबूत

Economy: दिसंबर की शुरुआत देश की अर्थव्यवस्था के लिए उत्साहजनक नहीं रही है। जहां सरकार की जीएसटी कमाई में कमी दर्ज की गई, वहीं शेयर बाजार में लगातार गिरावट का दौर जारी है। अब रुपये की कमजोरी ने चिंता बढ़ा दी है। ऐतिहासिक रूप से पहली बार डॉलर के मुकाबले रुपया 90 के पार पहुंच गया है और अनुमान लगाया जा रहा है कि यह जल्द ही 91 के स्तर को भी पार कर सकता है। रुपये की गिरावट से आम लोगों की जेब पर दबाव बढ़ना स्वाभाविक है, लेकिन इसके कुछ ऐसे फायदे भी हैं जो लंबे समय में अर्थव्यवस्था की मजबूती में सहायक बन सकते हैं।


निर्यात को मिलेगा बढ़ावा, हाई टैरिफ से मिलेगी राहत

रुपये के कमजोर होने से भारतीय निर्यातक अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाते हैं। भारतीय सामान विदेशी बाजारों में सस्ता होता है, जिससे मांग और बिक्री दोनों बढ़ती हैं।

अक्टूबर 2025 में भारतीय रुपये का रियल इफेक्टिव एक्सचेंज रेट (REER) घटकर 97.47 रहा, जो पिछले वर्ष 107.27 था। इसका अर्थ है कि भारतीय मुद्रा अब ओवरवैल्यूड नहीं, बल्कि अंडरवैल्यूड की तरफ बढ़ रही है—जो एक्सपोर्ट के लिए फायदेमंद है।
इसके परिणामस्वरूप:

  • निर्यात को बढ़ावा मिलेगा
  • अमेरिकी हाई टैरिफ का प्रभाव कम होगा
  • चीनी सामान के सस्ते इंपोर्ट पर रोक लगेगी
  • ट्रेड इंबैलेंस कम करने में मदद मिलेगी

आईटी और फार्मा सेक्टर को बड़ा फायदा

आईटी सेक्टर की बड़ी कमाई डॉलर में होती है। इसलिए रुपये में गिरावट कंपनियों की इनकम बढ़ा देती है। एआई की चुनौतियों से जूझ रही आईटी कंपनियों को यह स्थिति राहत दे सकती है। इसी तरह फार्मा उद्योग, जो बड़े पैमाने पर दवाइयों का निर्यात करता है, रुपये की कमजोरी से मजबूत स्थिति में आ जाएगा।


रेमिटेंस में बढ़ोतरी की संभावना

कमजोर रुपया प्रवासी भारतीयों को घर पैसे भेजने के लिए प्रेरित करता है। एक डॉलर अब पहले की तुलना में अधिक रुपये देता है।

भारत ने वित्त वर्ष 2025 में 135.5 अरब डॉलर का रिकॉर्ड रेमिटेंस प्राप्त किया है। रुपये की गिरावट इस प्रवाह को और बढ़ा सकती है, जिससे:

  • देश में डॉलर की आमद बढ़ेगी
  • लोगों के हाथों में अधिक पैसा आएगा
  • ट्रेड डेफिसिट कम करने में मदद मिलेगी

डॉलर के मुकाबले रुपये का प्रदर्शन

वर्ष 2025 में अब तक रुपया डॉलर के मुकाबले 5% से अधिक कमजोर हो चुका है और एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी बन गया है।

  • 80 से 90 के स्तर तक गिरने में केवल 773 ट्रेडिंग सत्र लगे
  • बुधवार को रुपया 90.30 के इंट्राडे लो तक पहुंचा
  • सत्र के अंत में यह 89.88 की तुलना में 90.20 पर बंद हुआ
  • साभार… 

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