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Election: 4500 सहकारी समितियों के होंगे चुनाव

4500 सहकारी समितियों

नेताओं को नहीं सरकार की मंशा पर भरोसा

Election: भोपाल। मध्यप्रदेश में सहकारी समितियों के चुनाव को लेकर बड़ी घोषणा हुई है। राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी एम.बी. ओझा ने मई से सितंबर के बीच 4500 सहकारी समितियों के चुनाव पांच चरणों में कराने का शेड्यूल जारी किया है। हालांकि, इस चुनाव कार्यक्रम को लेकर राजनीतिक हलकों में संशय की स्थिति बनी हुई है।

कांग्रेस और भाजपा नेताओं ने जताया संदेह

बदनावर से कांग्रेस विधायक और अपेक्स बैंक के पूर्व अध्यक्ष भंवर सिंह शेखावत ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि, “पिछले 17-18 वर्षों से सहकारी समितियों के चुनाव नहीं हुए हैं। बीज निगम और मंडी समितियों में भी चुनाव नहीं कराए गए। हाल ही में कानून में ऐसा संशोधन किया गया है जिससे प्रशासक अनंतकाल तक बना रह सकता है। चुनाव की घोषणा हाईकोर्ट के दबाव में की गई है, लेकिन हमें अब भी भरोसा नहीं कि सरकार वास्तव में चुनाव कराएगी।”

🤔 भरोसा नहीं कर पा रहे नेता:

  • कांग्रेस विधायक भंवर सिंह शेखावत और भाजपा से जुड़े सहकारिता नेताओं को आशंका है कि सरकार वास्तव में चुनाव कराएगी या नहीं।
  • आरोप है कि सरकार हाईकोर्ट के दबाव में शेड्यूल ला रही है, लेकिन मंशा अभी भी चुनाव कराने की नहीं दिखती।

🧑‍⚖️ हाईकोर्ट की सख्ती:

  • कोर्ट ने सरकार पर ₹20,000 की कॉस्ट लगाई और पूछा कि इतने वर्षों से चुनाव क्यों नहीं कराए जा रहे।
  • कई याचिकाओं के चलते चुनाव कार्यक्रम घोषित करना सरकार की मजबूरी बनी।

🔍 क्यों हैं ये चुनाव इतने अहम?

  • 4500 समितियां, 38 जिला सहकारी बैंक, और एक अपेक्स बैंक
  • करीब 55 हजार पद — जिनमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, और प्रतिनिधि चुने जाएंगे।
  • इन समितियों के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि ऋण वितरण और किसान हितों पर प्रभाव पड़ता है।
  • राजनीतिक पार्टियों के लिए यह “ग्रासरूट नेटवर्किंग” का बड़ा ज़रिया होता है।

⚖️ चुनाव न होने के कानूनी असर:

  • 2013 में आखिरी चुनाव हुए थे। 2018 में कार्यकाल खत्म हो गया था।
  • कानून के अनुसार, 5 साल में चुनाव जरूरी हैं और कार्यकाल खत्म होने से 6 महीने पहले प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए
  • अब तीन साल से समितियां प्रशासकों के भरोसे चल रही हैं, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के विपरीत है।

📌 आगे की प्रक्रिया:

  • पहले पुनर्गठित समितियों में चुनाव होंगे।
  • महिलाओं के लिए आरक्षित पद सुनिश्चित किए गए हैं।
  • चुनाव की पारदर्शिता के लिए सदस्यता सूची का प्रकाशन और विशेष सम्मेलन की प्रक्रिया शामिल होगी।
  • साभार..

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