Espionage: नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि 1942 और उसके बाद अंग्रेज सरकार ने संघ की गतिविधियों पर नजर रखी और उसकी जासूसी कराई थी। ब्रिटिश शासन के पास नियमित तौर पर यह जानकारी रहती थी कि किस शाखा में कितने स्वयंसेवक आते हैं। अधिकारियों की रिपोर्ट में कहा गया था कि शुरुआती दौर में संघ अंग्रेज सरकार के लिए बड़ा खतरा नहीं था, लेकिन जैसे-जैसे संख्या बढ़ेगी, यह अंग्रेजी शासन के लिए चुनौती बन सकता है।
संघ प्रमुख ने यह बयान ऐसे समय पर दिया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले से संघ को दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ बताया था।
मोहन भागवत ने कहा कि संघ में महिलाओं की भूमिका भी पुरुषों से कम नहीं है। उनका कहना था कि प्रत्येक स्वयंसेवक के परिवार की महिला संघ के कार्य में सहयोगी होती है, क्योंकि उनके सहयोग के बिना स्वयंसेवकों का कार्य संभव नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि महिलाओं की विशेष यूनिट “राष्ट्र सेविका समिति” इसी उद्देश्य से आगे बढ़ाई गई।
भागवत ने कहा कि राष्ट्र को प्रगति की राह पर आगे ले जाने के लिए महिलाओं की भागीदारी अनिवार्य है। संघ के विभिन्न कार्यक्षेत्रों में महिलाओं की भूमिका लगातार बढ़ रही है। दिल्ली में एक पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि संघ में कार्य करने वाले स्वयंसेवकों की संख्या तो बड़ी है, लेकिन पूर्णकालिक कार्यकर्ता अपेक्षाकृत कम हैं। उनके अनुसार संघ का काम पहले स्वयंसेवकों के जीवन में बदलाव लाना और फिर उसके प्रभाव से समाज में सकारात्मक परिवर्तन करना है।
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