Feedback: इंदौर | मध्यप्रदेश के महू से भाजपा विधायक उषा ठाकुर ने उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण रैकेट के आरोप में गिरफ्तार किए गए छांगुर बाबा पर बेहद कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “ऐसे अपराधियों के हाथ-पैर और प्रजनांग काट देने चाहिए, ताकि कोई भी दोबारा ऐसा दुस्साहस न करे।”
🔥 “नर-पिशाच बेटियों की जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं”
गुरुवार को इंदौर कलेक्टर कार्यालय में आयोजित एक बैठक में भाग लेने पहुंचीं विधायक ठाकुर ने मीडिया से बातचीत में कहा,
“जब तक सख्त सजा नहीं दी जाएगी, तब तक ये अपराध बंद नहीं होंगे। ये नर-पिशाच बेटियों की जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं और भारतीय संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं।”
⚖️ “शरीयत मानते हैं तो सजा भी वैसी मिले”
ठाकुर ने आगे कहा,
“अगर ये लोग भारतीय संविधान को नहीं मानते और शरीयत के अनुसार चलना चाहते हैं, तो इन्हें सजा भी वैसी ही मिलनी चाहिए — इतनी कठोर कि एक नज़ीर बन जाए।”
उन्होंने दावा किया कि हर वार्ड और विधानसभा क्षेत्र में इस तरह के लोग सक्रिय हैं और जनता को सतर्क रहने की जरूरत है।
📢 लोगों से जागरूक रहने की अपील
विधायक ने आस्था के नाम पर धोखाधड़ी करने वालों से बचने की अपील करते हुए कहा,
“ऐसे धोखेबाजों के बहकावे में न आएं जो आस्था के नाम पर जिंदगियां बर्बाद कर रहे हैं। इनसे सावधान रहने की ज़रूरत है।”
🕵️♂️ छांगुर बाबा केस: क्या है पूरा मामला?
उत्तर प्रदेश एटीएस ने 5 जुलाई को छांगुर बाबा, उनकी सहयोगी नीतू उर्फ नसीरीन, और दो अन्य को उत्तर प्रदेश अवैध धर्मांतरण प्रतिषेध अधिनियम, 2021 के तहत गिरफ्तार किया था। एफआईआर के अनुसार, यह गिरोह संगठित रूप से हिंदू और अन्य गैर-मुस्लिम समुदायों के लोगों को लालच, झूठे विवाह वादे और डर के माध्यम से धर्मांतरण के लिए उकसाता था।
🧾 विवाद और प्रतिक्रिया
उषा ठाकुर के बयान को लेकर एक नई राजनीतिक बहस शुरू हो गई है। उनके बयान पर विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों की प्रतिक्रियाएं सामने आने की संभावना है।
विधायक पहले भी ‘लव जिहाद’, धार्मिक कट्टरता और संविधान विरोधी गतिविधियों को लेकर विवादित बयान देती रही हैं।
📌 कानूनी विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
कानूनी जानकारों का मानना है कि किसी आरोपी को लेकर इस तरह की सार्वजनिक और उग्र भाषा का प्रयोग संविधान के दायरे में नहीं आता और इससे न्याय प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है। हालांकि, धर्मांतरण जैसे गंभीर मामलों में कठोर कानूनी कार्रवाई की मांग जायज़ मानी जाती है।
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