चारभुजाधारी पांच फीट ऊंची है माता की मूर्ति
Fertilizer: इंदौर: विजय नगर चौराहा स्थित कालिका धाम धार्मिक आस्था का महत्वपूर्ण स्थल बन चुका है। यहां हर दिन माता के मनोहारी श्रृंगार को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस मंदिर में भक्त विशेष रूप से नींबू की माला अर्पित करने की परंपरा का पालन करते हैं। भक्तों द्वारा यह माला 11, 21, और 51 नींबू की चढ़ाई जाती है, जो मनोकामना पूर्ति के लिए की जाती है। खासकर, हर शनिवार को करीब 400 से अधिक भक्त नींबू की माला अर्पित करते हैं, और अर्पित नींबू का उपयोग खाद बनाने में किया जाता है।
कालिका धाम का इतिहास 82 वर्ष पुराना है, जो 1940 से अस्तित्व में है। पहले यह स्थान बीआरटीएस से जुड़ा हुआ और 150 वर्ग फीट का था, लेकिन समय के साथ यह विस्तार पाता गया और अब यह एक प्रमुख धार्मिक स्थल बन चुका है। यहां माता की पांच फीट ऊंची चारभुजाधारी मूर्ति विराजित है, जो भक्तों के लिए अत्यधिक श्रद्धा का कारण है। माता के एक हाथ में खड्ग और दूसरे में नरमुंड है, जो उनके सौम्य स्वरूप को और भी प्रभावशाली बनाता है।
इस मंदिर में भगवान शिव, ठाकुरजी, बालाजी और भैरव बाबा का भी मंदिर है, जहां हर दिन विभिन्न धार्मिक आयोजन होते हैं। विशेष रूप से, चैत्र नवरात्रि के दौरान मंदिर को किले के स्वरूप में सजाया जाता है, जिसमें हिंदुत्व के रक्षक योद्धाओं के जीवन चरित्र को प्रदर्शित किया जाता है। इस समय सवा लाख काली चालीसा का पाठ भी चल रहा है, जिसका विश्वास है कि इसके पाठ से शत्रु का भय समाप्त हो जाता है।
इसके अलावा, यहां हर नवरात्रि में विभिन्न पूजन और उत्सव आयोजित होते हैं, जिनमें स्थानीय युवा उत्साह से भाग लेते हैं। शतचंडी महायज्ञ और अखंड दुर्गा सप्तशती का पाठ भी इस स्थान पर भक्तों द्वारा नियमित रूप से किया जाता है। कालिका धाम ने न केवल धार्मिक गतिविधियों का केंद्र बनकर अपनी पहचान बनाई है, बल्कि यह इंदौर की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का भी अहम हिस्सा बन चुका है।
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