Fruit Festival: कुरुक्षेत्र (हरियाणा)। कुरुक्षेत्र के लाडवा में आयोजित फ्रूट फेस्टिवल में इस बार सबकी नजरें जापान के मियाजाकी आम पर टिक गईं। इसे दुनिया का सबसे महंगा आम माना जाता है। भारत में इसकी कीमत ₹50,000 से ₹70,000 प्रति किलो, जबकि जापान और दुबई जैसे देशों में इसकी कीमत ₹2.5 लाख से ₹3 लाख प्रति किलो तक जाती है।
🍋 ‘एग ऑफ द सन’: स्वाद ही नहीं, सेहत का खजाना
गहरे लाल रंग और मीठे रस से भरा यह आम ‘एग ऑफ द सन’ (सूरज का अंडा) के नाम से भी प्रसिद्ध है।
इंडो-इजरायल सब-ट्रॉपिकल सेंटर, लाडवा में भी इसका एक पौधा लगाया गया है, जिस पर इस साल फल भी आ चुके हैं। यह पौधा मैंगो ग्रोवर एसोसिएशन द्वारा सेंटर को उपहार में दिया गया था।
विशेषताएं:
- एंटीऑक्सीडेंट, बीटा-कैरोटीन और फोलिक एसिड से भरपूर
- कैंसर सेल्स की ग्रोथ रोकने में असरदार
- इम्यूनिटी बूस्ट करता है
- वजन: प्रति आम लगभग 300-350 ग्राम
- पेड़ की ऊंचाई: लगभग 4 फीट
- फल आने में समय: 5 साल
🌱 मुजफ्फरनगर से आए किसान लेकर आए मियाजाकी आम
मुहम्मद साजिद, मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) के किसान, इस आम को प्रदर्शित करने पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि भारत में अब पंजाब, हरियाणा और यूपी में भी इसकी व्यावसायिक खेती शुरू हो गई है।
🌍 विदेशों में भारी डिमांड, भारत से एक्सपोर्ट भी शुरू
मियाजाकी आम की ऑस्ट्रेलिया, दुबई और इंग्लैंड में भारी मांग है। भारत से इसका निर्यात भी किया जा रहा है।
चंडीगढ़ में कई बागवानों और आम शौकीनों ने अपने घरों में इस आम के पौधे लगाए हैं। सुरक्षा को देखते हुए आमों को कवरअप करके रखा गया है।
🍐 नाशपती की 7 खास वैरायटी भी बनी आकर्षण
पंजाब से लाई गईं 7 नाशपती किस्में भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनीं।
- खास किस्म: निजी-सेकी, जो शुगर फ्री है।
- अन्य वैरायटी: पंजाब गोल्ड, लिकेंट, बब्बू-कोसा, पंजाब नख, पंजाब नेक्टर, पंजाब ब्यूटी
- भारत में कीमत: ₹250-₹300 प्रति किलो
- विदेशों में कीमत: ₹500+ प्रति किलो
🍎 सफेद मोती जैसे अनार की किस्में भी दिखीं
फेस्टिवल में अनार की सफेद दानों वाली 3 खास वैरायटी भी पेश की गईं:
- वंडरफुल – शुगर फ्री
- गणेश-137 – सफेद दाने
- सुपर भगवा – सफेद और बड़े दाने
साथ ही, भगवा और मृदुला जैसी लाल दानों वाली वैरायटी भी शामिल रहीं।
- भगवा अनार छोटा लेकिन बेहद मीठा
- मृदुला सामान्य आकार में लेकिन उच्च स्वाद वाला
🔬 रिसर्च और तकनीक से बागवानी का नया युग
इंडो-इजरायल सेंटर की टीम ने बताया कि मियाजाकी आम को टपका सिंचाई विधि से सींचा जा रहा है और अब इसे भविष्य का फल माना जा रहा है। सेंटर इसे स्थानीय जलवायु में भी सफल बनाने के लिए रिसर्च मोड में है।
साभार…
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