Hindu new year:इंदौर। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर शुरू हो रहे विक्रम संवत 2082 की ज्योतिषीय और सांस्कृतिक दृष्टि से खास अहमियत है। आइए, इसके कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर नजर डालते हैं:
1. विक्रम संवत और उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- विक्रम संवत की शुरुआत सम्राट विक्रमादित्य ने 57 ईसा पूर्व की थी।
- यह संवत भारत में परंपरागत रूप से हिंदू नववर्ष के रूप में मनाया जाता है।
- इसे गुड़ी पड़वा (महाराष्ट्र), युगादि (कर्नाटक और आंध्र प्रदेश), और चेटी चंड (सिंधी समुदाय) जैसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
2. नवसंवत्सर 2082 का नाम – सिद्धार्थ
- इस वर्ष का नाम सिद्धार्थ है, जिसका अर्थ होता है “सफलता प्राप्त करने वाला”।
- नाम के अनुसार, इस वर्ष कई लोगों को सफलता, समृद्धि और आत्मिक उन्नति प्राप्त हो सकती है।
3. सूर्य का विशेष महत्व
- इस संवत्सर के राजा सूर्य हैं, जो शक्ति, ऊर्जा और आत्मविश्वास के प्रतीक माने जाते हैं।
- सूर्य के प्रभाव से नेतृत्व क्षमता और आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा।
4. ग्रहों की युति और षट ग्रही योग
- इस वर्ष सूर्य, चंद्रमा, शनि, बुध, शुक्र और राहु की युति से षट ग्रही योग बन रहा है।
- इसके साथ ही बुधादित्य और राजयोग भी बन रहे हैं, जो आर्थिक समृद्धि और राजनीतिक सफलता के योग दर्शाते हैं।
- मकर और मिथुन राशि के जातकों को विशेष लाभ होने की संभावना है।
5. आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व
- चैत्र नवरात्रि भी इसी दिन से प्रारंभ होती है, जो मां दुर्गा की उपासना का पावन समय है।
- ब्रह्माजी द्वारा सृष्टि की रचना का दिन भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही माना जाता है।
- भगवान श्रीराम और धर्मराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था।
6. कैसे करें नवसंवत्सर का स्वागत?
- प्रातः स्नान कर पूजन करें और सूर्य को अर्घ्य दें।
- घर के मुख्य द्वार पर आम के पत्तों और बंदनवार से सजावट करें।
- पूजा में गुड़, नीम और कच्चे आम का सेवन कर नए वर्ष की शुरुआत करें।
- जरूरतमंदों को दान करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।
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