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History: राष्ट्रपति भवन से पहले इस जमीन का इतिहास

राष्ट्रपति भवन से पहले इस जमीन

History: राष्ट्रपति भवन भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित एक ऐतिहासिक और भव्य इमारत है, जो देश की समृद्ध विरासत और स्थापत्य कौशल का प्रतीक है। इसकी खूबसूरत तस्वीरें तो आपने कई बार देखी होंगी, लेकिन आइए इसके बारे में कुछ रोचक जानकारियों पर नजर डालते हैं।


इतिहास और निर्माण की शुरुआत

  • पहले नाम: इसे पहले वायसराय हाउस के नाम से जाना जाता था।
  • 1911 का दिल्ली दरबार: ब्रिटिश साम्राज्य ने घोषणा की कि भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित की जाएगी। इसके लिए रायसीना पहाड़ी को मुख्यालय बनाने के लिए चुना गया।
  • जयपुर का योगदान: जिस जमीन पर यह इमारत बनी, वह जयपुर के महाराजा के स्वामित्व में थी। महाराजा सवाई माधो सिंह ने इस भवन के लिए ‘जयपुर स्तंभ’ गिफ्ट किया, जो आज भी इस इमारत के मुख्य द्वार पर स्थित है।

निर्माण की चुनौतियां और विशेषताएं

  • निर्माण अवधि: इस भवन का निर्माण 1912 से 1929 तक, यानी लगभग 17 वर्षों में पूरा हुआ।
  • निर्माण लागत: उस समय इसकी निर्माण लागत लगभग 1 करोड़ 38 लाख रुपये थी।
  • रेलवे लाइन: निर्माण सामग्री जैसे संगमरमर और बलुआ पत्थर राजस्थान और अन्य जगहों से लाने के लिए रेलवे लाइन बिछाई गई थी।
  • खुदाई और समतलीकरण: रायसीना पहाड़ी पर इमारत बनाने के लिए बड़े पैमाने पर खुदाई और धमाकों का सहारा लिया गया।

डिजाइन और वास्तुकला

  • डिजाइनर: इसे ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर ने डिज़ाइन किया।
  • शैली: राष्ट्रपति भवन में भारतीय और पश्चिमी स्थापत्य शैली का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है।
  • कक्ष और सुविधाएं:
    • भवन में कुल 340 कमरे हैं।
    • दरबार हॉल: एक विशाल और भव्य कक्ष।
    • बगीचे: सुंदर और सुसज्जित मुगल गार्डन, जो वसंत ऋतु में जनता के लिए खोला जाता है।

1947 के बाद का बदलाव

  • नाम परिवर्तन: 1947 में भारत की आजादी के बाद वायसराय हाउस का नाम बदलकर राष्ट्रपति भवन रखा गया।
  • महत्व: यह अब भारत के राष्ट्रपति का आधिकारिक निवास और भारतीय गणराज्य का प्रतीक है।

दिलचस्प तथ्य

  1. इसे मूल रूप से केवल 4 वर्षों में बनाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन इसे पूरा करने में 17 वर्ष लग गए।
  2. रायसीना पहाड़ी की ऊंचाई इसे राजधानी का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र बनाती है।
  3. इसकी स्थापत्य शैली में भारतीय और पश्चिमी डिजाइनों का संयोजन इसे अद्वितीय बनाता है।

राष्ट्रपति भवन न केवल एक इमारत है, बल्कि यह भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यहां का हर कोना ब्रिटिश भारत से लेकर आधुनिक भारत की यात्रा की कहानी कहता है।

  source internet…  साभार….   

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