कई जगह गायब तो कई जगह छोटे नजर आए कमलनाथ
Ignore: बैतूल (बैतूलवाणी विशेष भाग- 3)। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रभारियों के नामों में बहुत जल्दी-जल्दी बदलाव होता रहा है। सांध्य दैनिक बैतूलवाणी ने हाल ही में 7 साल में 7 नेताओं को मिली जिम्मेदारी शीर्षक से प्रमुखता के साथ समाचार प्रकाशित की थी जिसमें यह बताया था कि इन सात वर्षों में कांग्रेस हाईकमान ने मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के लिए 7 नेताओं को प्रदेश प्रभारी बनाया था। जिनमें अंतिम नाम फरवरी 2025 में नियुक्त किए प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी शामिल हैं। जो वर्तमान में भी प्रदेश प्रभारी का दायित्व संभाल रहे हैं। संगठन सृजन अभियान के दौरान प्रदेशाध्यक्ष के साथ प्रदेश प्रभारी को भी पट्टन एवं मांडवी आना था लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
राष्ट्रीय प्रभारी ने की बैतूल की उपेक्षा
तय कार्यक्रम के अनुसार कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी एवं प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी को बैतूल जिले के पट्टन एवं मांडवी में आयोजित कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में शामिल होना था। इसके बाद दोनों नेता हरदा पहुंचते। लेकिन बैतूल जिले के अपने पहले दौरे में ही प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने अचानक बैतूल का कार्यक्रम रद्द कर दिया और प्रदेशाध्यक्ष अकेले ही बैतूल पहुंचे और दोनों कार्यकर्ता सम्मेलन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। लेकिन हरीश चौधरी के बैतूल ना आने पर कांग्रेसियों को निराशा हुई।
कुछ घंटे बाद ही चौधरी पहुंचे हरदा

बैतूल जिले के दौरे पर ना आने को लेकर यह जानकारी सामने आई है कि उनका स्वास्थ्य खराब हो गया था लेकिन चंद घंटों के बाद ही प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी हरदा पहुंच गए और उन्होंने यहां पर आयोजित कांग्रेस के कार्यक्रमों में हिस्सा भी लिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी जहां मांडवी से चिचोली होते हुए शाम 6 बजे हरदा पहुंचे वहीं प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी भी भोपाल से शाम को हरदा पहुंच गए थे। राजनैतिक हल्कों में यह चर्चा हो रही है कि बैतूल के साथ हमेशा ही ऐसी उपेक्षा क्यों की जाती है? क्या ऐसी ही उपेक्षाओं के कारण बैतूल में कांग्रेस की दुर्दशा होती आ रही है?
छोटा हो रहा कमलनाथ का फोटो

1980 के बाद से 2023 तक जिले में कांग्रेस के लोकसभा एवं विधानसभा के प्रत्याशियों के साथ संगठन में सभी छोटी-बड़ी सभी नियुक्तियों में कमलनाथ की आवाज अंतिम मानी जाती थी। इसीलिए जिले में कांग्रेस के चाहे कितने भी गुट रहे हो हर गुट छिंदवाड़ा के कमलनाथ दरबार में माथा टेकने पहुंचता था और कमलनाथ को अपना चेहरा दिखाने के लिए खूब जद्दोजहद भी की जाती थी। लेकिन कमलनाथ के नेतृत्व में 2023 का विधानसभा चुनाव क्या हारे? कांग्रेस में कमलनाथ का राजनैतिक पतन शुरू हो गया। चुनाव हारते ही कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से भी हटा दिया गया। इसका असर बैतूल जिले में कांग्रेस की राजनीति में भी दिखाई दे रहा है। पहले कांग्रेस के हर कार्यक्रम में कमलनाथ के कटआऊट और बड़े-बड़े पोस्टर लगे दिखते थे लेकिन अब सम्मेलन में लगने वाले होर्डिंग में कमलनाथ का फोटो या तो गायब हो रहा है या फिर लगा है तो दिखाई ही नहीं दे रहा है।
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